भारत की परंपरागत राष्ट्रभाषा हिंदी है। - नलिनविलोचन शर्मा।
 

नैतिकता का बोध

 (कथा-कहानी) 
 
रचनाकार:

 रघुवीर सहाय | Raghuvir Sahay

एक यात्री ने दूसरे से कहा, "भाई जरा हमको भी बैठने दो।"

दूसरे ने कहा, "नहीं! मैं आराम करूंगा। "पहला आदमी खड़ा रहा। उसे जगह नहीं मिली, पर वह चुपचाप रहा।

दूसरा आदमी बैठा रहा और देखता रहा। बड़ी देर तक वह उसे खड़े हुए देखता रहा। अचानक उसने उठकर जगह कर दी और कहा, "भाई अब मुझसे बर्दाश्त नहीं होता। आप यहां बैठ जाइए।"

-रघुवीर सहाय

[ लघु कथा देश देशान्तर,  संपादक-सुकेश साहनी, रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु',  अयन प्रकाशन, 2013]

Back
 
Post Comment
 
Type a word in English and press SPACE to transliterate.
Press CTRL+G to switch between English and the Hindi language.
 

सब्स्क्रिप्शन

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश