अपनी सरलता के कारण हिंदी प्रवासी भाइयों की स्वत: राष्ट्रभाषा हो गई। - भवानीदयाल संन्यासी।
 

भाई दूज

 (काव्य) 
 
रचनाकार:

 रोहित कुमार 'हैप्पी' | न्यूज़ीलैंड

भाई-बहन का यह त्योहार
इसमें छुपा हुआ है प्यार।

इक-दूजे पर करते नाज़
भैया दूज आ गयी आज।

माथे पर चन्दन का टीका
बहन बिना सब होता फीका।

भैया तुझको तिलक लगा दूँ
चन्दा-सूरज तुझे दिला दूँ।

यह रिश्तों की है सौग़ात
याद रहे अम्मा की बात।

- रोहित कुमार 'हैप्पी'

 

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