अपनी सरलता के कारण हिंदी प्रवासी भाइयों की स्वत: राष्ट्रभाषा हो गई। - भवानीदयाल संन्यासी।
 

यह दिल क्या है देखा दिखाया हुआ है

 (काव्य) 
 
रचनाकार:

 त्रिलोचन

यह दिल क्या है देखा दिखाया हुआ है
मगर दर्द कितना समाया हुआ है

मेरा दुख सुना चुप रहे फिर वो बोले
कि यह राग पहले का गाया हुआ है

झलक भर दिखा जाएँ बस उनसे कह दो
कोई एक दर्शन को आया हुआ है

न पूछो यहाँ ताप की क्या कमी है
सभी का हृदय उसमें ताया हुआ है

यही दर्द था जिसने तुमसे मिलाया
ये यों ही नहीं जी को भाया हुआ है

गढ़ा मौत का है नहीं भरने वाला
यहाँ अनगिनत का सफ़ाया हुआ है

*त्रिलोचन* सुनाओ हमें गान अपने
जहाँ दर्द जी का समाया हुआ है

- त्रिलोचन

 

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