अपनी सरलता के कारण हिंदी प्रवासी भाइयों की स्वत: राष्ट्रभाषा हो गई। - भवानीदयाल संन्यासी।
 

कुछ हाइकु

 (काव्य) 
 
रचनाकार:

 आनन्द विश्वास (Anand Vishvas)

1)
मन की बात
सोचो, समझो और
मनन करो।


2)
अपना घर
तन-मन-धन से
स्वच्छ बनाएं।


3)
पानी या खून
हर बूँद अमूल्य
मत बहाओ।


4)
गेंहूँ, जौ, चना
कैसे हो और घना
हमें सोचना।

-आनन्द विश्वास

 

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