अपनी सरलता के कारण हिंदी प्रवासी भाइयों की स्वत: राष्ट्रभाषा हो गई। - भवानीदयाल संन्यासी।
 

मैं नास्तिक क्यों हूँ

 (विविध) 
 
रचनाकार:

 भगत सिंह

'मैं नास्तिक क्यों हूँ ?'  यह आलेख भगत सिंह ने जेल में रहते हुए लिखा था जो लाहौर से प्रकाशित समाचारपत्र "द पीपल" में 27 सितम्बर 1931 के अंक में प्रकाशित हुआ था। भगतसिंह ने अपने इस आलेख में ईश्वर के बारे में अनेक तर्क किए हैं। इसमें सामाजिक परिस्थितियों का भी विश्लेषण किया गया है।

मैं नास्तिक क्यों हूँ? - भाग 1

मैं नास्तिक क्यों हूँ? - भाग 2

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मैं नास्तिक क्यों हूँ? मैं नास्तिक क्यों हूँ? | भाग-2
Posted By Sushil Kumar   on
इंकलाब जिंदाबाद
Posted By rahul   on
आप की जगह कोई नही ले सकता भगत सिंह।
 
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