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विविध, Hindi MiscellaneousArticle Under This Catagory
होली से मिलते जुलते त्योहार - रोहित कुमार 'हैप्पी' | न्यूज़ीलैंड |
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लिखी कागद कारे किए - प्रभाष जोशी |
सिडनी से ही ब्रिसबेन गया था और भारत को आस्ट्रेलिया से एक रन से हारते देखकर लौट आया था। सिडनी में भारत का मैच पाकिस्तान से होना था और फिर क्रिकेट के दो सबसे पुराने प्रतिद्वन्द्वियों इंग्लैंड और आस्ट्रेलिया का मुकाबला था। यानी काम के दिन दो थे और सिडनी में टिकना सात दिन था। |
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माओरी कहावतें (6-10) - भारत-दर्शन संकलन | Collections |
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कबिरा आप ठगाइए... - हरिशंकर परसाई | Harishankar Parsai |
मनुष्य का जीवन यों बहुत दुखमय है, पर इसमें कभी-कभी सुख के क्षण आते रहते हैं। एक क्षण सुख का वह होता है, जब हमारी खोटी चवन्नी चल जाती है या हम बगैर टिकट बाबू से बचकर निकल जाते हैं। एक सुख का क्षण वह होता है, जब मोहल्ले की लड़की किसी के साथ भाग जाती है और एक सुख का क्षण वह भी होता है, जब 'बॉस' के घर छठवीं लड़की होती है। |
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हिंदी में उर्दू शब्दों का इस्तेमाल - प्रो. राजेश कुमार |
हम कभी-कभी शुद्धतावादी लोगों से सुनते हैं कि हिंदी में उर्दू शब्दों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। आपने इस तरह की सूची भी देखी होगी, जिसमें लोग उर्दू शब्दों के हिंदी पर्याय देते हैं और सुझाव देते हैं कि उनके स्थान पर हिंदी शब्दों का ही उपयोग करना ज्यादा उचित होगा। |
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इटली के हिन्दी भाषाविद् मार्को जोल्ली से बातचीत - रोहित कुमार 'हैप्पी' | न्यूज़ीलैंड |
इटली के हिन्दी भाषाविद् मार्को जोल्ली हिन्दी साहित्य में पीएचडी हैं। आपने भीष्म साहनी पर थीसिस लिखा है। भीष्म साहनी के उपन्यास का इटालियन में अनुवाद किया है। वे लगभग दस वर्षों से हिन्दी पढ़ा रहे हैं। उनको इस बार विश्व हिन्दी सम्मेलन का भाषा पर केन्द्रित होना अच्छा लगा। |
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कचरा लेखन | व्यंग्य - डॉ सुरेश कुमार मिश्रा उरतृप्त |
“लेखक महोदय! आपके अनुभव और पहुँच के चलते इस बार विश्व पुस्तक मेले में आपकी बड़ी धूम रही। जितनी बार साँसें नहीं लीं उतनी बार तो आपने पुस्तकों का लोकार्पण कर दिया। जहाँ देखिए वहाँ आप ही आप छाए हुए थे। मधुमक्खी के छत्ते की तरह फोटों खिंचवाने की लेखकों में बड़ी चुल मची थी। पता ही नहीं चल रहा था कि लेखक कौन है और उसके रिश्तेदार कौन हैं? एक सप्ताह-दस दिन गुजर जाने के बाद लेखक खुद को उन फोटो में ढूँढ़ने में गच्चा खा जाएगा। यह सब छोड़िए। यह बताइए इतनी सारी पुस्तकें घर ले आए हैं, इनका क्या करेंगे?” – मैंने पूछा। |
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बनवासी रामजी की शैय्या - डॉ राधे श्याम द्विवेदी |
कामदगिरि प्रदक्षिणा प्रमुख द्वार से 3 किमी दूर और भरतकूप के सीधे रास्ते में खोही गांव से लगभग 2 किलोमीटर आगे श्री राम शैय्या एक पवित्र तीर्थ स्थल विद्यमान है। जो चित्रकूट से करीब 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। खोही-भरतकूप मार्ग पर यह जगह कामदगिरि पर्वत से आगे हैं। रास्ते में सुंदर पहाड़ों का दृश्य देखने के लिए मिलते हैं। मंदिर मुख्य सड़क पर स्थित है। मंदिर के सामने कुआं बना हुआ है, जो प्राचीन है। |
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जनता का साहित्य किसे कहते हैं ? - गजानन माधव मुक्तिबोध | Gajanan Madhav Muktibodh |
ज़िन्दगी के दौरान में जो तजुर्बे हासिल होते हैं, उनसे नसीहतें लेने का सबक़ तो हमारे यहाँ सैकड़ों बार पढ़ाया गया है। होशियार और बेवक़ूफ़ में फ़र्क़ बताते हुए, एक बहुत बड़े विचारक ने यह कहा, "ग़लतियाँ सब करते हैं, लेकिन होशियार वह है जो कम-से-कम ग़लतियाँ करे और ग़लती कहाँ हुई यह जान ले और यह साव- धानी वरते कि कहीं वैसी ग़लती तो फिर नहीं हो रही है।" जो आदमी अपनी ग़लतियों से पक्षपात करता है उसका दिमाग़ साफ़ नहीं रह सकता। |
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