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बाल-साहित्य
बाल साहित्य के अन्तर्गत वह शिक्षाप्रद साहित्य आता है जिसका लेखन बच्चों के मानसिक स्तर को ध्यान में रखकर किया गया हो। बाल साहित्य में रोचक शिक्षाप्रद बाल-कहानियाँ, बाल गीत व कविताएँ प्रमुख हैं। हिन्दी साहित्य में बाल साहित्य की परम्परा बहुत समृद्ध है। पंचतंत्र की कथाएँ बाल साहित्य का एक महत्वपूर्ण स्रोत हैं। हिंदी बाल-साहित्य लेखन की परंपरा अत्यंत प्राचीन है। पंचतंत्र, हितोपदेश, अमर-कथाएँ व अकबर बीरबल के क़िस्से बच्चों के साहित्य में सम्मिलित हैं। पंचतंत्र की कहानियों में पशु-पक्षियों को माध्यम बनाकर बच्चों को बड़ी शिक्षाप्रद प्रेरणा दी गई है। बाल साहित्य के अंतर्गत बाल कथाएँ, बाल कहानियां व बाल कविता सम्मिलित की गई हैं।Article Under This Catagory
आओ महीनो आओ घर | बाल कविता - दिविक रमेश |
अपनी अपनी ले सौगातें |
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खेल महीनों का | बाल कविता - दिविक रमेश |
अच्छी लगती हमें जनवरी |
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शेखचिल्ली और सात परियाँ - भारत-दर्शन संकलन |
शेखचिल्ली जवान हो चला तो एक दिन मां ने कहा- 'मियां कुछ काम-धंधा करने की सोचो!' |
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संगठन में शक्ति - भारत-दर्शन संकलन |
किसी जंगल में एक वृक्ष पर घोंसला बनाकर एक चिड़ा व चिड़िया का जोड़ा रहता था। चिड़िया ने अंडे दिये तो वह उसे सेह रही थी। इसी बीच धूप से परेशान एक मदमस्त हाथी उस वृक्ष की छाव में आ गया। अपने चंचल स्वभाव के कारण उसने पास की शाखा को तोड़ डाला। शाखा टूटते ही चिड़ियाँ के सभी अंडे टूट गए। घोसले का नामोनिशान नहीं रहा। असहाय चिड़िया विलाप करने लगी। चिड़िया को इस तरह दु:खी देखकर उसके साथी कठफोड़वा ने समझाते हुए कहा-- बुद्धिमान लोग विपत्ति के समय रोते-बिलखते नहीं, बल्कि धैर्य से काम लेते हैं। |
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मूर्ख मित्र - भारत-दर्शन संकलन |
किसी राजा के राज्य में एक बहुत बलवान बंदर था। वह बड़े-बड़े योद्धाओं को मत देता था। राजा ने उसकी ख्याति सुनी तो उसे अपना अंगरक्षक रख लिया। वह बंदर राजा के सेवक के रुप में महल मे रहने लगा। धीरे-धीरे वह राजा का विश्वास-पात्र बन गया। बंदर बहुत स्वामीभक्त था । अन्तःपुर में भी वह बेरोक-टोक जा सकता था । |
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हंस किसका? - भारत-दर्शन संकलन |
सुबह का समय था। उपवन में रंग-बिरंगे फूल खिले थे। फूलों की सुगंध आ रही थी। पक्षी चहचहा रहे थे। |
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ऐसे सूरज आता है - श्रीप्रसाद |
पूरब का दरवाज़ा खोल |
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माँ मारेंगी ! - रघुवीर शरण |
अगर हाथ देंगे नाली में, माँ मारेंगी । |
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