हिंदी भजन |
हिंदी भजन-Hindi Bhajan |
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Literature Under This Category |
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पथ से भटक गया था राम | भजन
- रोहित कुमार 'हैप्पी'
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पथ से भटक गया था राम नादानी में हुआ ये काम छोड़ गए सब संगी साथी संकट में प्रभु तुम लो थाम तू सबके दुःख हरने वाला बिगड़े संवारे सबके काम तेरा हर पल ध्यान धरुं मैं ऐसा पिला दे प्रेम का जाम
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चल मन | रैदास के पद
- रैदास | Ravidas
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चल मन! हरि चटसाल पढ़ाऊँ।। गुरु की साटी ग्यान का अच्छर, बिसरै तौ सहज समाधि लगाऊँ।। प्रेम की पाटी, सुरति की लेखनी, ररौ ममौ लिखि आँक लखाऊँ।। येहि बिधि मुक्त भये सनकादिक, ह्रदय बिचार प्रकास दिखाऊँ।। कागद कँवल मति मसि करि निर्मल, बिन रसना निसदिन गुन गाऊँ।। कहै रैदास राम भजु भाइ, संत राखि दे बहुरि न आऊँ।।
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कबीर भजन
- कबीरदास | Kabirdas
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उमरिया धोखे में खोये दियो रे। धोखे में खोये दियो रे। पांच बरस का भोला-भाला बीस में जवान भयो। तीस बरस में माया के कारण, देश विदेश गयो। उमर सब .... चालिस बरस अन्त अब लागे, बाढ़ै मोह गयो। धन धाम पुत्र के कारण, निस दिन सोच भयो।। बरस पचास कमर भई टेढ़ी, सोचत खाट परयो। लड़का बहुरी बोलन लागे, बूढ़ा मर न गयो।। बरस साठ-सत्तर के भीतर, केश सफेद भयो। वात पित कफ घेर लियो है, नैनन निर बहो। न हरि भक्ति न साधो की संगत, न शुभ कर्म कियो। कहै कबीर सुनो भाई साधो, चोला छुट गयो।। |
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हे दयालु ईश मेरे दुख मेरे हर लीजिए | भजन
- रोहित कुमार 'हैप्पी'
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हे दयालु ईश मेरे दुख मेरे हर लीजिए दूं परीक्षा लंबी कितनी, कुछ तो करुणा कीजिए। हे दयालु ईश मेरे दुख मेरे हर लीजिए ।।
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गुरु महिमा | पद
- सहजो बाई
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राम तजूँ पै गुरु न बिसारूँ, गुरु के सम हरि कूँ न निहारूँ ।। हरि ने जन्म दियो जग माहीं। गुरु ने आवा गमन छुटाहीं ।। हरि ने पाँच चोर दिये साथा। गुरु ने लई छुटाय अनाथा ।। हरि ने रोग भोग उरझायो। गुरु जोगी करि सबै छुटायो ।। हरि ने कर्म मर्म भरमायो। गुरु ने आतम रूप लखायो ।। फिरि हरि वध मुक्ति गति लाये। गुरु ने सब ही भर्म मिटाये ।। चरन दास पर तन-मन वारूँ। गुरु न तजूँ हरि को तजि डारूँ ।।
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राम का नाम बड़ा सुखदाई | भजन
- रोहित कुमार 'हैप्पी'
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राम का नाम बड़ा सुखदाई तेरे प्रेम में हुआ शौदाई।
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जग में अजब है तेरा नाम | भजन
- रोहित कुमार 'हैप्पी'
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जग में अजब है तेरा नाम बिगड़े संवारे तू सब काम। जग में अजब है तेरा नाम॥
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मेरो दरद न जाणै कोय
- मीराबाई | Meerabai
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हे री मैं तो प्रेम-दिवानी मेरो दरद न जाणै कोय। घायल की गति घायल जाणै जो कोई घायल होय। जौहरि की गति जौहरी जाणै की जिन जौहर होय। सूली ऊपर सेज हमारी सोवण किस बिध होय। गगन मंडल पर सेज पिया की किस बिध मिलणा होय। दरद की मारी बन-बन डोलूं बैद मिल्या नहिं कोय। मीरा की प्रभु पीर मिटेगी जद बैद सांवरिया होय।
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चलो मन गंगा-जमना-तीर
- मीराबाई | Meerabai
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गंगा-जमना निरमळ पाणी सीतल होत सरीर । बंसी बजावत गावत कान्हो संग लियाँ बळ बीर ।।
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श्याम पिया मोरी रंग दे चुनरिया
- मीराबाई | Meerabai
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श्याम पिया मोरी रंग दे चुनरिया ।। टेर ।।
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होरी खेलत हैं गिरधारी
- मीराबाई | Meerabai
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होरी खेलत हैं गिरधारी। मुरली चंग बजत डफ न्यारो। संग जुबती ब्रजनारी॥
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मीरा के भजन
- मीराबाई | Meerabai
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मीरा के भजनों का संग्रह। |
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कंकड चुनचुन
- कबीरदास | Kabirdas
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कंकड चुनचुन महल उठाया लोग कहें घर मेरा। ना घर मेरा ना घर तेरा चिड़िया रैन बसेरा है॥
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उठ जाग मुसाफिर भोर भई
- वंशीधर शुक्ल
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उठ जाग मुसाफिर भोर भई, अब रैन कहाँ जो तू सोवत है जो जागत है सो पावत है, जो सोवत है वो खोवत है खोल नींद से अँखियाँ जरा और अपने प्रभु से ध्यान लगा यह प्रीति करन की रीती नहीं प्रभु जागत है तू सोवत है उठ जाग मुसाफिर भोर भई, अब रैन कहाँ जो तू सोवत है जो कल करना है आज करले जो आज करना है अब करले जब चिडियों ने खेत चुग लिया फिर पछताये क्या होवत है उठ जाग मुसाफिर भोर भई, अब रैन कहाँ जो तू सोवत है नादान भुगत करनी अपनी ऐ पापी पाप में चैन कहाँ जब पाप की गठरी शीश धरी फिर शीश पकड़ क्यों रोवत है उठ जाग मुसाफिर भोर भई, अब रैन कहाँ जो तू सोवत है
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रोहित कुमार हैप्पी के भजन
- रोहित कुमार 'हैप्पी'
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रोहित कुमार हैप्पी का भजन संग्रह। |
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