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Literature Under This Category | ||||
श्रमिक का गीत - रोहित कुमार 'हैप्पी' | न्यूज़ीलैंड | ||||
रहा हाड़ ना मास मेरा |
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धर्म निभा - रोहित कुमार 'हैप्पी' | न्यूज़ीलैंड | ||||
कवि कलम का धर्म निभा |
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बढ़े चलो! बढ़े चलो! - सोहनलाल द्विवेदी | Sohanlal Dwivedi | ||||
न हाथ एक शस्त्र हो |
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मौन ओढ़े हैं सभी | राजगोपाल सिंह का गीत - राजगोपाल सिंह | ||||
मौन ओढ़े हैं सभी तैयारियाँ होंगी ज़रूर |
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गरमागरम थपेड़े लू के - आनन्द विश्वास (Anand Vishvas) | ||||
गरमागरम थपेड़े लू के, पारा सौ के पार हुआ है, |
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मिट्टी की महिमा - शिवमंगल सिंह सुमन | ||||
निर्मम कुम्हार की थापी से |
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कलयुग में गर होते राम - रोहित कुमार 'हैप्पी' | न्यूज़ीलैंड | ||||
अच्छे युग में हुए थे राम |
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दिन अच्छे आने वाले हैं - गयाप्रसाद शुक्ल सनेही | ||||
जब दुख पर दुख हों झेल रहे, बैरी हों पापड़ बेल रहे, |
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ग्रामवासिनी - शारदा मोंगा | न्यूजीलैंड | ||||
भारत माता ग्रामवासिनी, |
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चाहता हूँ देश की.... - रामावतार त्यागी | Ramavtar Tyagi | ||||
मन समर्पित, तन समर्पित |
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जूठे पत्ते - बालकृष्ण शर्मा नवीन | Balkrishan Sharma Navin | ||||
क्या देखा है तुमने नर को, नर के आगे हाथ पसारे? |
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जनतंत्र का जन्म - रामधारी सिंह दिनकर | Ramdhari Singh Dinkar | ||||
सदियों की ठंढी-बुझी राख सुगबुगा उठी, |
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मंदिर-दीप - सोहनलाल द्विवेदी | Sohanlal Dwivedi | ||||
मैं मंदिर का दीप तुम्हारा। |
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जो समर में हो गए अमर - नरेंद्र शर्मा | ||||
जो समर में हो गए अमर, मैं उनकी याद में |
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इक अनजाने देश में - विजय कुमार सिंह | ऑस्ट्रेलिया | ||||
इक अनजाने देश में जब भी, मैं चुप हो रह जाता हूँ, |
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किसने बाँसुरी बजाई - जानकी वल्लभ शास्त्री | ||||
जनम-जनम की पहचानी वह तान कहाँ से आई ! |
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पथ की बाधाओं के आगे | गीत - दुष्यंत कुमार | Dushyant Kumar | ||||
पथ की बाधाओं के आगे घुटने टेक दिए |
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चंद्रशेखर आज़ाद | गीत - रोहित कुमार 'हैप्पी' | न्यूज़ीलैंड | ||||
शत्रुओं के प्राण उन्हें देख सूख जाते थे |
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मैं अमर शहीदों का चारण - श्रीकृष्ण सरल | ||||
मैं अमर शहीदों का चारण |
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भूमण्डलीय तापक्रम वृद्धि - शारदा मोंगा | न्यूजीलैंड | ||||
प्रश्न चिन्ह? खतरा अत्यधिक, |
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दूर गगन पर | गीत - अनिता बरार | ऑस्ट्रेलिया | ||||
दूर गगन पर सँध्या की लाली |
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श्रम का वंदन | जन-गीत - गिरीश पंकज | ||||
जिस समाज में श्रम का वंदन, केवल वही हमारा है। |
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टूटें न तार - केदारनाथ अग्रवाल | Kedarnath Agarwal | ||||
टूटें न तार तने जीवन-सितार के। |
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मैं तटनी तरल तरंगा, मीठे जल की निर्मल गंगा - शारदा मोंगा | न्यूजीलैंड | ||||
मैं तटनी तरल तरंगा |
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आ जा सुर में सुर मिला - विजय कुमार सिंह | ऑस्ट्रेलिया | ||||
आ जा सुर में सुर मिला ले, यह मेरा ही गीत है, |
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सो गई है मनुजता की संवेदना - डॉ. जगदीश व्योम | ||||
सो गई है मनुजता की संवेदना |
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रात भर का वह गहरा अँधेरा - शारदा मोंगा | न्यूजीलैंड | ||||
रात भर का वह गहरा अँधेरा, |
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फ़क़ीराना ठाठ | गीत - रोहित कुमार 'हैप्पी' | न्यूज़ीलैंड | ||||
आ तुझको दिखाऊँ मैं अपने ठाठ फ़क़ीराना |
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सुहाना सहाना लगे | गीत - अनिता बरार | ऑस्ट्रेलिया | ||||
सुहाना सहाना लगे |
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ये देश है विपदा में - डॉ रमेश पोखरियाल निशंक | ||||
देश हमारा है विपदा में, साथी तुम उठ जाओ। |
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कब निकलेगा देश हमारा - कुँअर बेचैन | ||||
पूछ रहीं सूखी अंतड़ियाँ |
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हम दुनिया की शान - डॉ रमेश पोखरियाल निशंक | ||||
हिदुभूमि के निवासी, हम दुनिया की शान हैं। |
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तेरे नाम | गीत - रेखा राजवंशी | ऑस्ट्रेलिया | ||||
जाने कितनी बातें लिख दीं तेरे नाम |
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संक्रान्ति - धर्मवीर भारती | Dhramvir Bharti | ||||
सूनी सड़कों पर ये आवारा पाँव |
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फागुन का गीत - केदारनाथ सिंह | ||||
गीतों से भरे दिन फागुन के ये गाए जाने को जी करता! |
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तू, मत फिर मारा मारा - रबीन्द्रनाथ टैगोर | Rabindranath Tagore | ||||
निविड़ निशा के अन्धकार में |
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संकल्प-गीत - उदयभानु हंस | Uday Bhanu Hans | ||||
हम तरंगों से उलझकर पार जाना चाहते हैं। |
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संकल्प-गीत - उदयभानु हंस | Uday Bhanu Hans | ||||
हम तरंगों से उलझकर पार जाना चाहते हैं। |
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पीर - डॉ सुधेश | ||||
हड्डियों में बस गई है पीर। |
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दर्द के बोल - रोहित कुमार 'हैप्पी' | न्यूज़ीलैंड | ||||
उसको मन की क्या कहता मैं? |
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गोपालदास नीरज के गीत | जलाओ दीये | Neeraj Ke Geet - गोपालदास ‘नीरज’ | ||||
जलाओ दीये पर रहे ध्यान इतना |
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अब तो मजहब कोई | नीरज के गीत - गोपालदास ‘नीरज’ | ||||
अब तो मजहब कोई, ऐसा भी चलाया जाए |
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जितना कम सामान रहेगा | नीरज का गीत - गोपालदास ‘नीरज’ | ||||
जितना कम सामान रहेगा |
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तुम दीवाली बनकर - गोपालदास ‘नीरज’ | ||||
तुम दीवाली बनकर जग का तम दूर करो, |
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धरा को उठाओ, गगन को झुकाओ - गोपालदास ‘नीरज’ | ||||
दिए से मिटेगा न मन का अँधेरा, |
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मुझे न करना याद, तुम्हारा आँगन गीला हो जायेगा - गोपालदास ‘नीरज’ | ||||
मुझे न करना याद, तुम्हारा आँगन गीला हो जायेगा! |
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खिड़की बन्द कर दो - गोपालदास ‘नीरज’ | ||||
खिड़की बन्द कर दो |
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जवानी के क्षण में | गीत - गोपाल सिंह नेपाली | Gopal Singh Nepali | ||||
कुछ ऐसा खेल रचो साथी ! |
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मुझको याद किया जाएगा - गोपालदास ‘नीरज’ | ||||
आँसू जब सम्मानित होंगे मुझको याद किया जाएगा |
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पीपल के पत्तों पर | गीत - नागार्जुन | Nagarjuna | ||||
पीपल के पत्तों पर फिसल रही चाँदनी |
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हमने कलम उठा नहीं रखी, गीत किसी के गाने को - रोहित कुमार 'हैप्पी' | न्यूज़ीलैंड | ||||
हमने कलम उठा नहीं रखी, गीत किसी के गाने को॥ |
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मुट्ठी भर रंग अम्बर में - रोहित कुमार 'हैप्पी' | न्यूज़ीलैंड | ||||
मुट्ठी भर रंग अम्बर में किसने है दे मारा |
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हंसों के वंशज | गीत - राजगोपाल सिंह | ||||
हंसों के वंशज हैं लेकिन |
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सीते! मम् श्वास-सरित सीते - राजगोपाल सिंह | ||||
सीते! मम् श्वास-सरित सीते |
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मन की आँखें खोल - सुदर्शन | Sudershan | ||||
बाबा, मन की आँखें खोल! |
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तेरी मरज़ी में आए जो - रोहित कुमार 'हैप्पी' | न्यूज़ीलैंड | ||||
तेरी मरज़ी में आए जो, वही तो बात होती है |
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कोई नहीं पराया - गोपालदास ‘नीरज’ | ||||
कोई नहीं पराया, मेरा घर संसार है। |
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दे, मैं करूँ वरण - सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' | Suryakant Tripathi 'Nirala' | ||||
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मेंहदी से तस्वीर खींच ली - माखनलाल चतुर्वेदी | ||||
मेंहदी से तस्वीर खींच ली किसकी मधुर! हथेली पर । |
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दीप से दीप जले - माखनलाल चतुर्वेदी | ||||
सुलग-सुलग री जोत दीप से दीप मिलें, |
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मैं सूने में मन बहलाता - शिवमंगल सिंह सुमन | ||||
मेरे उर में जो निहित व्यथा |
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चलना हमारा काम है - शिवमंगल सिंह सुमन | ||||
गति प्रबल पैरों में भरी |
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गीत गाने को दिए पर स्वर नहीं - शिवमंगल सिंह सुमन | ||||
दे दिए अरमान अगणित |
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वरदान माँगूँगा नहीं - शिवमंगल सिंह सुमन | ||||
यह हार एक विराम है |
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बाँधो न नाव इस ठाँव, बंधु - सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' | Suryakant Tripathi 'Nirala' | ||||
बाँधो न नाव इस ठाँव, बंधु! |
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स्नेह-निर्झर बह गया है | सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' - सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' | Suryakant Tripathi 'Nirala' | ||||
स्नेह-निर्झर बह गया है |
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रोते-रोते रात सो गई - Atal Bihari Vajpayee | ||||
झुकी न अलकें |
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मेरे देश की माटी सोना | गीत - आनन्द विश्वास (Anand Vishvas) | ||||
मेरे देश की माटी सोना, सोने का कोई काम ना, |
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आज मेरे आँसुओं में, याद किस की मुसकराई? | गीत - उपेन्द्रनाथ अश्क | Upendranath Ashk | ||||
आज मेरे आँसुओं में, याद किस की मुसकराई? |
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रो उठोगे मीत मेरे - आनन्द विश्वास (Anand Vishvas) | ||||
दर्द की उपमा बना मैं जा रहा हूँ, |
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सजनवा के गाँव चले - आनन्द विश्वास (Anand Vishvas) | ||||
सूरज उगे या शाम ढले, |
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मैंने जाने गीत बिरह के - आनन्द विश्वास (Anand Vishvas) | ||||
मैंने जाने गीत बिरह के, मधुमासों की आस नहीं है, |
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चलो कहीं पर घूमा जाए | गीत - आनन्द विश्वास (Anand Vishvas) | ||||
चलो कहीं पर घूमा जाए, |
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माँ की ममता जग से न्यारी ! - डॉ शम्भुनाथ तिवारी | ||||
माँ की ममता जग से न्यारी ! |
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माँ की याद बहुत आती है ! - डॉ शम्भुनाथ तिवारी | ||||
माँ की याद बहुत आती है ! |
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हम भी काट रहे बनवास - रोहित कुमार 'हैप्पी' | न्यूज़ीलैंड | ||||
हम भी काट रहे बनवास |
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