अपनी सरलता के कारण हिंदी प्रवासी भाइयों की स्वत: राष्ट्रभाषा हो गई। - भवानीदयाल संन्यासी।
आनन्द विश्वास के हाइकु (काव्य)    Print  
Author:आनन्द विश्वास (Anand Vishvas)
 

1.
मन की बात
सोचो, समझो और
मनन करो।

2.
देश बढ़ेगा
अपने दम पर
आगे ही आगे।

3.
अपना घर
तन-मन-धन से
स्वच्छ बनाएं।

4.
पहरेदार
हटे, तो काम बने
हम सब का।

5.
पानी या खून
हर बूँद अमूल्य
मत बहाओ।

6.
गेंहूँ जौ चना
कैसे हो और घना
हमें सोचना।

7.
हमने माना
पानी नहीं बहाना
तुम भी मानो।

-आनन्द विश्वास

 

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