यदि पक्षपात की दृष्टि से न देखा जाये तो उर्दू भी हिंदी का ही एक रूप है। - शिवनंदन सहाय।
भगत सिंह - गीत (काव्य)    Print  
Author:भारत-दर्शन संकलन | Collections
 

फांसी का झूला झूल गया मर्दाना भगत सिंह ।
दुनियां को सबक दे गया मस्ताना भगत सिंह ।।
फांसी का झूला......


राजगुरु से शिक्षा लो दुनिया के नवयुवको ।
सुखदेव को पूछो कहां मस्ताना भगत सिंह ।।
फांसी का झूला......


रोशन कहां, अशफाक और लहरी, कहां बिसमिल ।
आजाद से था सच्चा दोस्ताना भगत सिंह ।।
फांसी का झूला......


स्वागत को वहां देवगण में इन्द्र के होंगे ।
परियां भी गाती होंगी यह तराना भगत सिंह ।।
फांसी का झूला......


दुनियां को हरएक चीज को हम भूल क्यूं न जायें ।
भूले न मगर दिल से मुस्कराना भगत सिंह ।।
फांसी का झूला......


भारत के पत्ते पत्ते में सोने से लिखेगा ।
राजगुरु, सुखदेव और मस्ताना भगत सिंह ।।
फांसी ।


ऐ हिन्दियों सुनलो जरा हिम्मत करो दिल में।
बनना पड़ेगा सबको अब दीवाना भगत सिंह ।।
फांसी का झूला......


- अज्ञात

[ शहीदों की यादगारी से ]

 

Back
 
 
Post Comment
 
  Captcha
 

सब्स्क्रिप्शन

सर्वेक्षण

भारत-दर्शन का नया रूप-रंग आपको कैसा लगा?

अच्छा लगा
अच्छा नही लगा
पता नहीं
आप किस देश से हैं?

यहाँ क्लिक करके परिणाम देखें

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश