देशभाषा की उन्नति से ही देशोन्नति होती है। - सुधाकर द्विवेदी।
लूटकर ले जाएंगे | ग़ज़ल (काव्य)    Print  
Author:राजगोपाल सिंह
 

लूटकर ले जाएंगे सब देखते रह जाओगे
पत्थरों की वन्दना करने से तुम क्या पाओगे

मांगने से पहले कुछ भी, सोच लो, फिर मांगना
एक चौखट के लिए क्या पेड़ को कटवाओगे

अपने ख़ूनी शौक़ की ख़ातिर हमें ऐ रहबरो
तीतरों की भाँति तुम कितना कहो लड़वाओगे

फ़स्ल बंदूकों की खेतों में न बोना दोस्तो
रोटियों के नाम पर कल गोलियाँ ही खाओगे

- राजगोपाल सिंह

 

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