यदि पक्षपात की दृष्टि से न देखा जाये तो उर्दू भी हिंदी का ही एक रूप है। - शिवनंदन सहाय।
वंदना | बाल कविता (बाल-साहित्य )    Print  
Author:डा. राणा प्रताप सिंह गन्नौरी 'राणा'
 

मैं अबोध सा बालक तेरा,
ईश्वर! तू है पालक मेरा ।

         हाथ जोड़ मैं करूँ वंदना,
         मुझको तेरी कृपा कामना ।

मैं हितचिंतन करूँ सभी का,
बुरा न चाहूँ कभी किसी का ।

         कभी न संकट से भय मानूँ,
         सरल कठिनताओं को जानूँ ।

प्रतिपल अच्छे काम करूँ मैं,
देश का ऊँचा नाम करूँ मैं ।

         दुखी जनों के दुःख हरूँ मैं,
         यथा शक्ति सब को सुख दूँ मैं ।

गुरु जन का सम्मान करूँ मैं,
नम्र, विनीत, सुशील बनूँ मैं ।
 
        मंगलमय हर कर्म हो मेरा,
        मानवता ही धर्म हो मेरा ।


            - डा राणा प्रताप सिंह 'राणा'
               [मीठे बोल]

 

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