जब से हमने अपनी भाषा का समादर करना छोड़ा तभी से हमारा अपमान और अवनति होने लगी। - (राजा) राधिकारमण प्रसाद सिंह।
उलझन | लघु-कथा (कथा-कहानी)    Print  
Author:रोहित कुमार 'हैप्पी' | न्यूज़ीलैंड
 

'ए फॉर एप्पल, बी फॉर बैट' एक देसी बच्चा अँग्रेजी पढ़ रहा था। यह पढ़ाई अपने देश भारत में पढ़ाई जा रही थी।

'ए फार अर्जुन - बी फार बलराम' एक भारतीय संस्था में एक भारतीय बच्चे को विदेश में अँग्रेजी पढ़ाई जा रही थी।

अपने देश में विदेशी ढंग से और विदेश में देसी ढंग से। अपने देश में, 'ए फॉर अर्जुन, बी फॉर बलराम' क्यों नहीं होता? मैं उलझन में पड़ गया।

मैं सोचने लगा अगर अँग्रेजी हमारी जरूरत ही है तो 'ए फॉर अर्जुन - बी फॉर बलराम' ही क्यों न पढ़ा जाए?  

- रोहित कुमार 'हैप्पी' 

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