देशभाषा की उन्नति से ही देशोन्नति होती है। - सुधाकर द्विवेदी।
लाल बहादुर शास्त्री | कविता (बाल-साहित्य )    Print  
Author:डा. राणा प्रताप सिंह गन्नौरी 'राणा'
 

लालों में वह लाल बहादुर,
भारत माता का वह प्यारा।
कष्ट अनेकों सहकर जिसने,
निज जीवन का रूप संवारा।

तपा तपा श्रम की ज्वाला में,
उस साधक ने अपना जीवन।

बना लिया सच्चे अर्थों में,
निर्मल तथा कांतिमय कुंदन।

सच्चरित्र औ' त्याग-मूर्ति था,
नहीं चाहता था आडम्बर।
निर्धनता उसने देखी थी,
दया दिखाता था निर्धन पर।

नहीं युद्ध से घबराता था,
विश्व-शांति का वह दीवाना।
इसी शांति की बलवेदी पर,
उसे ज्ञात था मर-मिट जाना।

-डा राणा प्रताप सिंह गन्नौरी
साभार - मीठे बोल


Back
 
 
Post Comment
 
  Captcha
 

सब्स्क्रिप्शन

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें