अपनी सरलता के कारण हिंदी प्रवासी भाइयों की स्वत: राष्ट्रभाषा हो गई। - भवानीदयाल संन्यासी।
चिड़िया रानी  (बाल-साहित्य )    Print  
Author:डॉ रामनिवास मानव | Dr Ramniwas Manav
 

सदा फुदकती, कभी न थकती,
गाती मीठी-मीठी बानी।
कैसे खुश रहती हो इतना,
सच-सच कहना चिड़िया रानी।

ताज़ा दाना, निर्मल पानी,
शुद्ध हवा औ' धूप सुहानी।
यही राज सारी खुशियों का,
बोली हंसकर चिड़िया रानी।

खुले जगत् में जीना सीखो,
ताज़ा हो सब दानी-पानी।
इतना कहकर, फुदक ज़रा-सा,
फुर्र हो गई चिड़िया रानी।

 

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