भारत की परंपरागत राष्ट्रभाषा हिंदी है। - नलिनविलोचन शर्मा।
अपनों की बातें (काव्य)    Print  
Author:प्रीता व्यास | न्यूज़ीलैंड
 

बातें उन बातों की हैं
जिनमें अनगिन घातें थीं,
बातें सब अपनों की थीं।

अपनों की थीं सो चुभती थीं,
चुभती थीं सो दुखती थीं,
दुखती थीं पर सहनी थीं,
सहना ही तो मुश्किल था।

मुश्किल से पार उतरना था
जीवन था और जीना था।

जीना था सो ठान लिया
ना दुखना है, ना रोना है,
ना टुकड़ा- टुकड़ा होना है,
ना हार के ऐसी बातों से
अपने आप को खोना है।
सौ जतन किये
सब झेल गए,
आखिर बचा लिया खुद को।

छोटी- मोटी पटकन- चटकन
छोटी- मोटी टूटन- फूटन
लेकिन बचा लिया खुद को।


जैसे, जितने, जो भी बचे हैं
खुद को ही शाबासी दे कर
तनहा बैठे सोच रहे हैं
बिन अपनों के करेंगे क्या
इस बचे हुए का?

 

-प्रीता व्यास
 न्यूज़ीलैंड

 

 

 

Back
 
 
Post Comment
 
  Captcha
 

सब्स्क्रिप्शन

सर्वेक्षण

भारत-दर्शन का नया रूप-रंग आपको कैसा लगा?

अच्छा लगा
अच्छा नही लगा
पता नहीं
आप किस देश से हैं?

यहाँ क्लिक करके परिणाम देखें

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश