अपनी सरलता के कारण हिंदी प्रवासी भाइयों की स्वत: राष्ट्रभाषा हो गई। - भवानीदयाल संन्यासी।
तेरे नाम | गीत (काव्य)    Print  
Author:रेखा राजवंशी | ऑस्ट्रेलिया
 

जाने कितनी बातें लिख दीं तेरे नाम
इश्क में डूबीं रातें लिख दीं तेरे नाम

फूलों की खुशबू से महकी-महकी सी
मदहोशी के आलम में कुछ बहकी सी
शहद भरी सौगातें लिख दीं तेरे नाम

मेंहदी के रंग, रंगे हुए अल्फ़ाज़ लिखे
चाँद सितारों से जगमग अंदाज़ लिखे
सावन की बरसातें लिख दीं तेरे नाम

चुटकी-चुटकी धूप सुनहरी ऐसा इश्क
चमकी-चमकी रात रुपहली जैसा इश्क
वस्ल की सब बारातें लिख दीं तेरे नाम

गुपचुप बातें और मुहब्बत का आलम
तेरी उल्फत, तेरी चाहत की शबनम
इश्क की सारी ज़ातें लिख दीं तेरे नाम

--रेखा राजवंशी
  ऑस्ट्रेलिया
  ई-मेल: rekha_rajvanshi@yahoo.com.au

 

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