देशभाषा की उन्नति से ही देशोन्नति होती है। - सुधाकर द्विवेदी।
जयप्रकाश मानस की दो बाल-कविताएं (बाल-साहित्य )    Print  
Author:जयप्रकाश मानस | Jaiprakash Manas
 

एक बनेंगे

हम हैं बच्चे
मन के सच्चे
आगे कदम बढ़ाएंगे,
भूले भटके
राह में अटके
सबको राह दिखाएंगे
नहीं लड़ेंगे
एक बनेंगे
मिलकर 'जन गण' गाएंगे
नहीं डरेंगे
टूट पड़ेंगे
न संकट से घबराएंगे।

-जयप्रकाश मानस


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गिनकर तो दिखाओ

खेत-खार में कितने मेड़
इस जंगल में कितने पेड़
ठीक-ठीक बताओ
गिनकर तो दिखाओ।

सूरज में हैं कितनी किरने
हैं धरती में कितने झरने
पता जरा लगाओ
गिनकर तो दिखाओ।।

कितने तारे आसमान में
खेल कितने इस जहान में
चलो-चलो सुनाओ
गिनकर तो दिखाओ।।

-जयप्रकाश मानस
[जयप्रकाश मानस की बाल कविताएं, यश पब्लिशर्स एंड डिस्ट्रीब्यूटर्स दिल्ली]

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