यदि पक्षपात की दृष्टि से न देखा जाये तो उर्दू भी हिंदी का ही एक रूप है। - शिवनंदन सहाय।
तुम वाकई गधे हो  (काव्य)    Print  
Author:शैल चतुर्वेदी | Shail Chaturwedi
 

एक गधा
दूसरे गधे से मिला
तो बोला- "कहो यार कैसे हो?"
दूसरा बोला- "तुम वाकई गधे हो
एक साल होने को आया
एक ही जगह बंधे हो
डाक्टरों ने दल बदले
मगर तुमने
खूंटा तक नहीं बदला।"
तभी बोल उठा पहला-
"सामने वाले बंगले में
दो नेता रहते हैं
रोज आपस में लड़ते हैं
एक कहता है तुमसे गधा अच्छा
दूसरा कहता है गधे का बच्चा
और मैं यह जानना चाहता हूं
कि वो कौन-सा नेता नेता है
जो मेरा बेटा है।"

-शैल चतुर्वेदी

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