मुस्लिम शासन में हिंदी फारसी के साथ-साथ चलती रही पर कंपनी सरकार ने एक ओर फारसी पर हाथ साफ किया तो दूसरी ओर हिंदी पर। - चंद्रबली पांडेय।
 
प्रतिपल घूंट लहू के पीना | ग़ज़ल (काव्य)       
Author:डा. राणा प्रताप सिंह गन्नौरी 'राणा'

प्रतिपल घूँट लहू के पीना,
ऐसा जीवन भी क्या जीना ।

बहुत सरल है घाव लगाना,
बहुत कठिन घावों का सीना ।

छेड़ गया सोई यादों को,
सावन का मदमस्त महीना ।

पीठ न वीर दिखाते रण में,
छलनी भी हो जाये सीना ।

जो मरने से तनिक न डरता,
जीना है उसका ही जीना ।

काव्य-कला-साधन में 'राणा',
"एक हुआ है खून-पसीना ''

- डा राणा प्रताप सिंह राणा गन्नौरी

 

 

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