भारत की परंपरागत राष्ट्रभाषा हिंदी है। - नलिनविलोचन शर्मा।
 
संकेतों की भाषा (काव्य)       
Author:लक्ष्मी शंकर वाजपेयी

वे चार पांच के समूह में…
बातें करते हैं संकेतों की भाषा में…
देखते बनती है उनके हाथों और उँगलियों के संचालन की मुद्राएं और उनकी गति भी…
वे बहुत गहरे डूबे हैं अपने वार्तालाप में
तरह-तरह के भाव उभरते हैं उनके चेहरों पर…
उनकी इस अनूठी बातचीत का दृश्य बनाता है
अजीब कौतूहल का वातावरण…
विस्मित हो देखते हैं आसपास के लोग
दयाभाव से लेकर उपहास तक के मिश्रित भावों से…
फिर आपस में फुसफुसाते हैं…
“गूंगे हैं…”, एक कहता है दूसरे से…
उन्हें दिखता है सिर्फ गूंगापन..!
वे सुन ही नहीं पाते
कि इस वार्तालाप में
ज़िन्दगी कैसे चहक-चहक कर बोल रही है..!!

-लक्ष्मी शंकर वाजपेयी

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