यह संदेह निर्मूल है कि हिंदीवाले उर्दू का नाश चाहते हैं। - राजेन्द्र प्रसाद।
 
ज़िंदगी (काव्य)       
Author:राजगोपाल सिंह

ज़िंदगी इक ट्रेन है
और ये संसार
भागते हुए चित्रों की
एक एल्बम

- राजगोपाल सिंह

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