भारत की परंपरागत राष्ट्रभाषा हिंदी है। - नलिनविलोचन शर्मा।
 
कार-चमत्कार | कुंडलियाँ (काव्य)       
Author:काका हाथरसी | Kaka Hathrasi

[इसमें 64 कार हैं, सरकार]

अहंकार जी ने कहा लेकर एक डकार, 
कितने कार प्रकार हैं, इस पर करें विचार। 
इस पर करें विचार, कार को नमस्कार है,
ओंकार में निर्विकार में व्याप्त कार है। 
निरंकार या निराकार का चक्कर छोड़ो, 
कलियुग में साकार ब्रह्म से नाता जोड़ो।

मजिस्ट्रेट के कोर्ट में, होने लगी पुकार, 
पेशकार के सामने पहुँचा पैरोकार। 
पहुँचा पैरोकार, प्रभो उपकार कीजिए, 
आया एक शिकार, उसे स्वीकार कीजिए। 
पुरस्कार है यह, इससे इंकार न करिए, 
साधिकार सुखकार नोट पाकिट में धरिए।

तदाकार हो जाइए, तजकर मनोविकार, 
सरोकार क्या कौन पर, किसका है अधिकार? 
किसका है अधिकार, आपसे हमें प्यार है, 
पूर्व जन्म के संस्कार का चमत्कार है। 
पत्रकार अपकार करे प्रतिकार न करिए, 
काव्यकार औ' व्यंगकार से बचकर रहिए।

पड़े कला के फेर में चित्रकार-छविकार, 
नृत्यकार जी रट रहे, कत्थक के 'तथकार'। 
कत्थक के तथकार, बिचारे गीतकार जी, 
करें प्रतीक्षा, नहीं मिले संगीतकार जी। 
कलाकार, बेकार सड़क पर घूम रहे हैं, 
साहूकार सेफ़ से चिपके झूम रहे हैं।

'बद' अच्छा लेकिन बुरा होता है बदकार, 
मूर्धन्य मक्कार हैं, गुरू भूदराकार। 
गुरू भूदराकार, आप तो जानकार हैं, 
उनके चेले उच्चकोटि के चाटुकार हैं। 
श्री भ्रष्टालंकार तख्त पर बैठे जब तक, 
अंधकार यह दूर नहीं हो सकता तब तक।

ताऊजी थे तबलिया, मामाजी, मुख्तार,
बीनकार थे बापजी, दादा लेखाकार। 
दादा लेखाकार, बनी तकदीर हमारी, 
करी वकालत पास, हए उत्तराधिकारी। 
पुरखाओं की मिक्श्चर-कल्चर निभा रहे हैं, 
मुवक्किलों के सर पर तबला बजा रहे हैं।

पड़ी नहीं जिस पर कभी, पत्नी की फटकार, 
उस भौंदू भरतार को लाख बार धिक्कार। 
लाख बार धिक्कार, न हाहाकार कीजिए, 
तिरस्कार दुतकार सभी का स्वाद लीजिए। 
बहिष्कार कर दें तो भी हिम्मत मत हारो, 
वे मारें फुफकार आप उनको पुचकारो।

काकीजी की कर रहे काका जैजैकार, 
तुकमिल्ला कुछ कार के बतला दो सरकार। 
बतला दो सरकार, चपल नैना मटकाए, 
अलंकार झंकार और टंकार बताए। 
'ड्राइंग के दूकानदार पर जल्द जाइए, 
मुन्ने को दरकार, एक परकार लाइए।'

-काका हाथरसी

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