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Archive of नवम्बर-दिसम्बर-2019 Issue
नवम्बर-दिसम्बर-2019 का अंक बाल साहित्य पर केन्द्रित है। बाल साहित्य के अन्तर्गत वह शिक्षाप्रद साहित्य आता है जिसका लेखन बच्चों के मानसिक स्तर को ध्यान में रखकर किया गया हो। बाल साहित्य में रोचक शिक्षाप्रद बाल-कहानियाँ, बाल गीत व कविताएँ प्रमुख हैं। हिन्दी साहित्य में बाल साहित्य की परम्परा बहुत समृद्ध है। पंचतंत्र की कथाएँ बाल साहित्य का एक महत्वपूर्ण स्रोत हैं।
इस अँक में बाल-साहित्य जिसमें बाल-कथाएँ, बाल कहानियां, बाल कविताएं, पौराणिक कथाएं व कहानियाँ प्रमुखता से प्रकाशित किया गया हैं ।
समकालीन बाल काव्य में प्रभुदयाल श्रीवास्तव प्रकाश मनु, दिविक रमेश, रामनिवास मानव, आनन्द विश्वास, जयप्रकाश मानस, प्रीता व्यास, कोमल मेहंदीरत्ता की रचनाएँ सम्मिलित की गईं हैं
बाल कथा-कहानियों में प्रेमचंद की 'परीक्षा', 'पागल हाथी', निराला की सीख भरी कथा 'दो घड़े', सुदर्शन की 'हार की जीत', जयप्रकाश भारती की 'बंटवारा नहीं होगा', 'सर्वश्रेष्ठ उपहार', भीष्म साहनी की 'दो गौरैया', भगवतीप्रसाद वाजपेयी की 'मिठाईवाला', जयशंकर प्रसाद की 'छोटा जादूगर', महादेवी वर्मा की 'गिल्लू' सुभद्राकुमारी चौहान की 'हींगवाला', रबीन्द्रनाथ टैगोर की 'काबुलीवाला', हरिवंश राय बच्चन की बाल कहानी, 'चुन्नी मुन्नी', आचार्य विनोबा की 'जैसी दृष्टि', जॉन हे की अनूदित रचना 'सुखी आदमी की कमीज़', विष्णु प्रभाकर की 'मैंने झूठ बोला था' सर्वेश्वर दयाल सक्सेना की 'सफेद गुड़', संगीता बैनीवाल की 'दूध का दाँत', राजेश मेहरा की 'ताजपुर जंगल में आतंकी', अरविन्द की 'बेईमान', फ़ादर पालडेंट एस० जे० की 'कितनी देर लगेगी?' आनंद विश्वास की 'फूल नहीं तोड़ेंगे हम', रोहित कुमार हैप्पी की 'पारस' व इनके अतिरिक्त कई अज्ञात लेखकों की रचनाएँ भी सम्मिलित हैं।
न्यूज़ीलैंड के रचनाकारों में प्रीता व्यास की दो कविताएँ, डॉ पुष्पा भारद्वाज-वुड की कविताएं व रोहित कुमार हैप्पी की रचनाएँ प्रकाशित की गई हैं।