सितम्बर-अक्टूबर 2019
परमात्मा से प्रार्थना है कि हिंदी का मार्ग निष्कंटक करें। - हरगोविंद सिंह।

Archive of सितम्बर-अक्टूबर 2019 Issue

सितम्बर-अक्टूबर 2019

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भारत-दर्शन की ओर से दीवाली की शुभकामनाएँ। भारत-दर्शन पर दीवाली की पौराणिक कथाएँ, ऐतिहासिक पक्ष व दीपावली की महत्ता पढ़िए। 

जन-जन ने हैं दीप जलाए
लाखों और हजारों ही
धरती पर आकाश आ गया
सेना लिए सितारों की
छुप गई हर दीपक के नीचे
देखो आज अमावस काली
सुंदर-सुंदर दीपों वाली
झिलमिल आई है दीवाली



करवा-चौथ की विभिन्न पौराणिक कथाएँ

 

गाँधी जयंती पर विशेष

भारत के राष्ट्रपिता मोहनदास कर्मचंद गाँधी जिन्हें बापू व महात्मा गांधी भी संबोधित किया जाता है, का जन्म-दिवस हर वर्ष 2 अक्तूबर को गांधी जयंती के रूप में मनाया जाता है। गांधी जयंती के अवसर पर पढ़िए गांधीजी से संबंधित कविताएं, आलेख, गांधी जी के अनमोल वचनगांधी जी के बारे में कुछ तथ्य, गांधीजी के पौत्र अरुण गांधी से बातचीत।  

 

हिंदी की पहली कहानी कौनसी है? यह आज भी चर्चा का विषय है।  विभिन्न कहानियाँ 'पहली कहानी' होने की दावेदार रही हैं। सयैद इंशाअल्लाह खाँ की 'रानी केतकी की कहानी', राजा शिवप्रसाद सितारे हिंद की लिखी 'राजा भोज का सपना' किशोरीलाल गोस्वामी की 'इंदुमती', माधवराव स्प्रे की 'एक टोकरी भर मिट्टी', आचार्य रामचंद्र शुक्ल की 'ग्यारह वर्ष का समय' व बंग महिला की ''दुलाई वाली' अनेक कहानियाँ हैं जिन्हें अनेक विद्वानों ने अपना पक्ष रखते हुए हिंदी की सर्वप्रथम कहानी कहा है। हमने इन सभी कहानियों को 'भारत-दर्शन' में प्रकाशित किया है। 

हिंदी की पहली लघुकथा कौनसी है, इस विषय  भी हमारे विद्वान् एकमत नहीं। हाँ, बहुमत की बात करें तो अधिकतर का मत है कि माधवराव सप्रे की 'टोकरी भर मिट्टी' जोकि 'छत्तीसगढ़ मित्र' पत्रिका में 1901 में प्रकाशित हुई थी, पहली लघुकथा कही जा सकती है। अभी तक 'लघुकथा' विधा के  शिल्प, आकार-प्रकार और परिभाषा को लेकर चर्चा-परिचर्चा जारी है यथा किसी भी प्रकार की संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता। जिस प्रकार विभिन्न हिन्दी कहानियाँ 'पहली कहानी' होने की दावेदार रही हैं, उसी प्रकार विभिन्न 'लघुकथाएं' भी 'पहली हिंदी लघुकथा' होने की दौड़ में सम्मिलित हैं। आज भी इसपर चर्चा-परिचर्चा होती है।

हाल ही में न्यूज़ीलैंड की प्रीता व्यास के संपादन में 'सफेद बादलों के देश में', काव्य संकलन का भारत के 'बोधि प्रकाशन' द्वारा प्रकाशन हुआ है।  इस बार के अंक में  न्यूज़ीलैंड के रचनाकारों की कुछ रचनाएँ, इसी पुस्तक से प्रकाशित की गई हैं जिनमें सोम नाथ गुप्ता की 'कच्चे-पक्के मकान', दिनेश भारद्वाज की 'दो छोटी कविताएं' प्रकाशित की गई हैं।   

इस अंक की कथा-कहानियों में  प्रेमचंद की 'मेरी पहली रचना'  भी प्रकाशित की गई हैं। इसके अतिरिक्त लघु-कथाएंलोक-कथाएंसंस्मरण प्रकाशित किए गए हैं।

लोक-कथाओं में  टॉलस्टॉय  की 'दयामय की दया 'प्रकाशित की गई हैं।

काव्य में गीत, ग़ज़ल, कविता, दोहे, भजन व हास्य कविताएं सम्मिलित की गई हैं। 

आलेखों में भारतेन्दु हरिश्चन्द्र का आलेख 'हिन्दी भाषा की समृद्धता', राहुल सांकृत्यायन का 'हिन्दी का स्थान', 'अटल जी का ऐतिहासिक भाषण' इत्यादि सम्मिलित किए गए हैं। इनमें से भारतेन्दु हरिश्चन्द्र व राहुल सांकृत्यायन का आलेख दुर्लभ हैं।


प्रेमचंद की पुण्यतिथि -8 अक्टूबर 

प्रेमचंद की स्मृति में पढ़िए - प्रेमचंद का अंतिम दिन।  

 

 

भगत सिंह जयंती पर विशेष

27 सितंबर को 'शहीद भगत सिंह' का जन्म-दिवस होता है। कुछ विवरणों में भगत सिंह का जन्म-दिवस 28 सितंबर भी दिया गया है।

अमर शहीद सरदार भगत सिंह का नाम विश्व में 20वीं शताब्दी के अमर शहीदों में बहुत ऊँचा है। भगतसिंह अपने देश के लिए शहीद हो गए।

उन्हीं की स्मृति में पिछले अंकों में प्रकाशित सामग्री के लिंक भी यहां दिए गए हैं:

भगत सिंह का बचपन
"मैं नास्तिक क्यों हूँ?" -भगत सिंह का आलेख 
भगत सिंह का भाई कुलतारसिंह को लिखा हुआ पत्र
भगत सिंह की शायरी 
भगतसिंह पर लिखी कविताएं

भगत सिंह को पसंद थी ये ग़ज़ल

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