मुंशी प्रेमचंद विशेषांक जुलाई-अगस्त
देशभाषा की उन्नति से ही देशोन्नति होती है। - सुधाकर द्विवेदी।

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मुंशी प्रेमचंद विशेषांक जुलाई-अगस्त

स्वतंत्रता दिवस पर शुभ-कामनाएं। आज इस अवसर पर हम आपको वन्दे मातरम् क विभिन्न संस्करणों से परिचित करवाते हैं - आइए पढ़े वन्दे मातरम्आज़ादी पर कुछ उत्कृष्ठ रचनाएं भी आपके लिए!

 

31 जुलाई को कथा सम्राट प्रेमचंद की जयंती होती है। भारत-दर्शन का यह अंक  प्रेमचंद विशेषांक आपको भेंट।

यह अंक 15 उपन्यास, 300 से अधिक कहानियाँ, 3 नाटक, 10 अनुवाद, 7 बाल पुस्तकें तथा हजारों पृष्ठों के लेख, भाषण, सम्पादकीय, भूमिकाएं व पत्र इत्यादि की रचना करने वाले प्रेमचंद को समर्पित!

यहाँ प्रेमचंद का विविध साहित्य प्रकाशित किया गया है। प्रेमचंद की कहानियों में उनकी 'बड़े घर की बेटी', 'सद्गति', 'पूस की रात'।

प्रेमचन्द की लघु-कथाओं में, 'राष्ट्र का सेवक', 'बंद दरवाज़ा', 'देवी', 'कश्मीरी सेब', 'यह भी नशा, वह भी नशा' प्रकाशित की गई हैं। इसके अतिरिक्त 'बलराम अग्रवाल' का आलेख 'प्रेमचंद की लघु कथा रचनाएं' अत्यंत उपयोगी है।

प्रेमचंद के बाल-साहित्य में, 'दो बैलों की कथा', 'परीक्षा', 'मिट्ठू' बच्चों को अवश्य रोचक लगेंगी।

प्रेमचंद से संबंधित आलेखों में, 'जीवन सार',शिवरानी (प्रेमचंद की पत्नी) की पुस्तक, 'प्रेमचंद : घर में' के अंश, 'धनपतराय से मुंशी प्रेमचंद तक का सफ़र', बनारसीदास चतुर्वेदी के संस्मरणों में, 'प्रेमचंद के पत्र', शैलेन्द्र चौहान का आलेख, 'प्रेमचंद की विचार यात्रा', बनारसीदास चतुर्वेदी के  'प्रेमचंद के संस्मरण', व 'प्रेमचन्दजी के साथ दो दिन'।

प्रेमचंद के बारे में कुछ जानकारी, जिनमें सम्मिलित है, 'प्रेमचंद की सर्वोत्तम 15 रचनाएं', ' क्या आप जानते हैं?', और प्रेमचंद पर नई-नई जानकारी सामने लाने वाले डॉ कमलकिशोर गोयनका से बातचीत, 'प्रेमचंद गरीब थे, यह सर्वथा तथ्यों के विपरीत है।' पढिए, क्यों डॉ गोयनका 'प्रेमचंद' को गरीब नहीं मानते, कौनसे तथ्य हैं जो प्रेमचंद की गरीबी के विपरीत संकेत करते हैं!


दिविक रमेश की कविताएं, 'माँ गांव में है' व 'माँ'। इसके अतिरिक्त दिविक रमेश के बाल साहित्य में, 'जब बांधूंगा उनको राखी'।

भोर निकलने पर प्रसन्नचित, 'राजबीर देसवाल' की कविता, 'सुबह-सबेरे'।

अरविंद कुमार और उनके विलक्षण कोश के बारे में पढ़िये।


आज के जीवन पर सवाल उठाती  'अमिता शर्मा की दो क्षणिकाएं'।


'सफलता' अंतरआत्मा से संवाद स्थापित करती वंदना भारद्वाज की एक श्रेष्ठ कविता।


स्वतंत्रता-दिवस पर भी विशेष सामग्री प्रकाशित की गई है। पढ़िए गुमनाम शहीदों पर प्रकाश डालती पांडेय बेचैन शर्मा 'उग्र' की कहानी 'उसकी माँ'।

इस अंक में स्वतंत्रता-दिवस से संबंधित रचनाओं को भी प्रमुखता से प्रकाशित किया गया है जिनमें सम्मिलित हैं कविताएँ, कहानियाँ व बाल-साहित्य।

शहीदों से संबंधित सामग्री भी देखें।

रक्षा-बंधन से संबंधित सामग्री यहाँ पढ़ें।


कथा-कहानी के अतिरिक्त पढ़िए कविताएँ,  दोहे, ग़ज़लें, आलेख, व्यंग्य, लघु-कथाएं  बाल-साहित्य


मैथिलीशरण गुप्त की 'भारत-भारती' व 'रामावतार त्यागी की, 'मैं दिल्ली हूँ' भी पढ़ें।

 

'जन-साधारण का राष्ट्रपति' कहे जाने वाले, अपनी सादगी व युवाओं के प्रेरणास्रोत पूर्व अपनी सादगी व युवाओं के प्रेरणास्रोत पूर्व राष्ट्रपति डॉ० कलाम राष्ट्रपति डॉ० कलाम (डॉ.ए.पी.जे.अब्दुल कलाम) अब हमारे बीच नहीं हैं। 27, जुलाई, 2015 की सांय 83 वर्षीय डॉ. कलाम का इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, शिलांग में निधन हो गया। वे वहाँ 'पृथ्‍वी को रहने लायक कैसे बेहतर बनाया जाए' विषय पर अपना वक्तव्य दे रहे थे। उन्‍होंने अभी बोलना आरंभ ही किया था कि ह्रदय आघात के कारण वे बेहोश हो गए। उन्हें बेथनी अस्पताल में भर्ती कराया गया लेकिन शाम 7.45 बजे अस्पताल के डायरेक्टर डॉ. जॉन ने डॉ. कलाम के दिवंगत होने की सूचना दी। डॉ. जॉन के अनुसार 7 बजे उन्हें अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराया गया था।

डॉ कलाम के संस्मरण, उनकी कविता व गीत और अन्य सामग्री पढ़ें।

 

पिछले कुछ वर्षों में भारत-दर्शन में प्रकाशित हिंदी की कुछ कालजयी कहानियाँ  यहाँ सूचीबद्ध की गई हैं ताकि इन लोकप्रिय कहानियों का आप सब आनंद उठा सकें:

 

Chandra Shekhar Azad - Art by Rohit Kumar for Bharat Darshan Magazine

"दुश्मन की गोलियों का, हम सामना करेंगे।
आज़ाद ही रहे हैं, आज़ाद ही मरेंगे॥"

उपरोक्त उद्घोष करने वाले चंद्रशेखर आज़ाद केवल एक क्रांतिकारी ही नहीं बल्कि महामानव भी थे। पं० चंद्रशेखर आज़ाद की जयंती 23 जुलाई को होती है, आइए उन्हें याद करें।

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7 जुलाई को गुलेरीजी की जयंती होती है। 'गुलेरी जयंती' पर पढ़िए सुदर्शन वशिष्ठ Usne Kaha Tha ke amar kahanikaar - Guleriji.का विवेचन, 'पंडित चन्द्रधर शर्मा गुलेरी का कथा संसार'। लघु-कथाओं के अंतर्गत गुलेरी की 'गालियां', 'भूगोल', 'पाठशाला' व गुलेरी की कालजयी कहानी, 'उसने कहा था' व इसी का अगला भाग कही जाने वाली गुलेरी की कहानी, 'हीरे का हीरा' प्रकाशित की गई हैं। इसके अतिरिक्त उनकी कुछ कविताएं व निबंध, 'कछुआ धर्म' भी प्रकाशित किया गया है।

गुलेरी जी की कविताएं भी उनकी कहानियों से कम नहीं, उनकी कविता 'सोऽह' के तेवर देखिए -

करके हम भी बी० ए० पास
          हैं अब जिलाधीश के दास ।
पाते हैं दो बार पचास
         बढ़ने की रखते हैं आस ॥१॥


आशा है पाठकों का स्नेह मिलता रहेगा। आप भी भारत-दर्शन में प्रकाशनार्थ अपनी रचनाएं भेजें। हम हिंदी लेखकों व कवियों के चित्रों की श्रृँखला भी प्रकाशित कर रहे हैं, यदि आप के पास दुर्लभ चित्र उपलब्ध हों तो अवश्य प्रकाशनार्थ भेजें। इस अनूठे प्रयास में अपना सहयोग दें।

यदि आप पिछला अंक 'कबीर विशेषांक' पढ़ना चाहते हैं तो पिछले अंक में देख सकते हैं। इसमें कबीर के दोहे, भजन, कबीर की कुण्डलियां व आलेख प्रकाशित किए गए थे।

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