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Archive of नवंबर-दिसंबर 2021 Issue
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छठ पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ। छठ पर्व दिवाली के छठे दिन मनाया जाता है। छठ हर वर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी यानी छठी तिथि पर मनाया जाता है। यह पर्व लोक आस्था से जुड़ा है और सूर्य भगवान को समर्पित है।
छठ पर्व पर हिंदी की साहित्यकार अलका सिन्हा इस पर्व की विस्तृत जानकारी दे रही हैं। अलका सिन्हा की छठ पर्व वीडियो प्रस्तुति देखिए।
सदैव की भांति इस अंक में भी 'कथा-कहानी' के अंतर्गत कहानियाँ, लघु-कथाएं व बाल कथाएं। इस अंक के काव्य में सम्मिलित है - कविताएं, दोहे, भजन, बाल-कविताएं, हास्य कविताएं व गज़ल।
इस अंक में पढ़िए, प्रेमचंद की कहानी, 'अमावस्या की रात्रि', रूसी कथाकार 'एन्तॉन चेखव' की कहानी 'शर्त', गुरबख्श सिंह की कहानी, 'अंझू', दिव्या माथुर की कहानी, 'एडम और ईव', सुशांत सुप्रिय की कहानी, 'एक गुम-सी चोट' और विजय कुमार तिवारी की कहानी, 'उजड़े प्यार का मसीहा'।
लघुकथाओं में पढ़िए, खलील जिब्रान की लोकप्रिय लघुकथा,'मेज़बान', सुनील कुमार शर्मा की लघुकथा,'मुआवज़ा', रोहित कुमार हैप्पी की लघुकथा, 'दूसरी दुनिया का आदमी'।
'हम भ्रष्टन के भ्रष्ट हमारे' शरद जोशी का व्यंग्य, भारतेन्दु हरिश्चन्द्र की लघु हास्य-व्यंग्य कथा, 'सच्चा घोड़ा', राजेश कुमार का ताजा व्यंग्य, 'महाकवि की पुरस्कार वापसी' पढ़िए।
नि:संदेह भारतीय व्रत एवं त्योहार हमारी सांस्कृतिक धरोहर है। हमारे सभी व्रत-त्योहार चाहे वह दीवाली हो, होली हो, रक्षा-बंधन हो, करवाचौथ का व्रत हो या कोई अन्य पर्व, कहीं न कहीं वे पौराणिक पृष्ठभूमि से जुड़े हुए हैं और उनका वैज्ञानिक पक्ष भी नकारा नहीं जा सकता। इस अंक में दीवाली और भाई दूज की पौराणिक कथाएँ भी पढ़िए।
लोक-कथाओं में लक्ष्मीनिवास बिडला की, 'चोर और राजा' और गिजुभाई की 'गुड्डा गुड़िया'।
बाल-काव्य के अंतर्गत बाल कविताओं में श्रीप्रसाद की 'जामुन', सुभद्राकुमारी की 'पानी और धूप', रामनरेश त्रिपाठी की 'चतुर चित्रकार', दिविक रमेश की 'दीदी को बतलाऊंगी मैं', शेरजंग गर्ग की 'सीधा-सादा', डॉ जगदीश व्योम की 'मेरा भी तो मन करता है', प्रभुदयाल श्रीवास्तव की 'बूंदों का चौपाल', आनन्द विश्वास की 'प्रकृति विनाशक आखिर क्यों है', त्रिलोक सिंह ठकुरेला की 'पापा, मुझे पतंग दिला दो' व 'ऐसा वर दो', वंदना मुकेश का 'कैंप गीत', प्रीता व्यास की बाल कविता 'दादी कहती दाँत में', रेखा राजवंशी का बालगीत, 'कम्प्युटर', रोहित कुमार की बाल कविता 'नटखट चिड़िया' पढ़िए।
न्यूज़ीलैंड के 13 वर्षीय बच्चे भव्य सेठ की 'बरखा बहार', उनका सराहनीय प्रयास है, अवश्य पढ़िए।
14 नवंबर को 'बाल-दिवस' (Bal Diwas) के रूप में बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है। 'बाल-दिवस' पर विशेष-सामग्री पढ़िए।
बाल कविताएं पढ़ने के लिए बाल-काव्य पृष्ठ देखें। बाल कथाएं व बाल कहानियाँ पढ़ने के लिए बाल-कहानी पृष्ठ भी देखें।
इस बार कविताओं में भगवतीचरण वर्मा की 'दोस्त एक भी नहीं जहाँ पर', उदयभानु हंस की 'दीवाली : हिंदी रुबाइयां', त्रिलोक सिंह ठकुरेला की 'मुकरियाँ', ब्रिटेन के युवा कवि आशीष मिश्रा की रचनाएं 'राम' व 'काश! मुझे कविता आती', फीजी से दीपा शर्मा की 'एक दीया मस्तिष्क में जलाएं', न्यूज़ीलैंड से रोहित कुमार हैप्पी की 'भाई दूज', डॉ पुष्पा भारद्वाज-वुड की 'मुस्कान' पढ़ें। इनके अतिरिक्त अल्लामा प्रभु की कविताएं प्रकाशित की गई हैं।
भारत-दर्शन का सम्पूर्ण अंक पढ़ें।
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