कवि प्रदीप को उनके जीवित रहते चाहे साहित्यजगत में वह स्थान नहीं मिला जिसके वे अधिकारी थे लेकिन भोपाल में सुसज्जित उनके चित्र प्रमाणित करते हैं कि वे जनता के दिल में अपना विशेष स्थान रखते हैं।