देशभाषा की उन्नति से ही देशोन्नति होती है। - सुधाकर द्विवेदी।
रक्षा-बंधन | 11 अगस्त अगस्त 2022
 
 

रक्षा-बंधन का त्यौहार श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। उत्तरी भारत में यह त्यौहार भाई-बहन के अटूट प्रेम को समर्पित है औेर इस त्यौहार का प्रचलन सदियों पुराना बताया गया है। इस दिन बहने अपने भाई की कलाई पर राखी बाँधती हैं और भाई अपनी बहनों की रक्षा का संकल्प लेते हुए अपना स्नेहभाव दर्शाते हैं।

रक्षा बंधन का उल्लेख हमारी पौराणिक कथाओं व महाभारत में मिलता है और इसके अतिरिक्त इसकी ऐतिहासिक व साहित्यिक महत्ता भी उल्लेखनीय है।

आइए, रक्षा-बंधन के सभी पक्षों पर विचार करें।

रक्षा बंधन - वामनावतार कथा
रक्षा बंधन - भविष्य पुराण की कथा
महाभारत संबंधी कथा
ऐतिहासिक प्रसंग
चंद्रशेखर आज़ाद का प्रसंग
साहित्यिक संदर्भ
फिल्मों में रक्षा-बंधन


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2022 - राष्ट्रपति ने रक्षा बंधन की पूर्व संध्या पर देशवासियों को शुभकामनाएं दीं

राष्ट्रपति भवन : 10.08.2022

राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने रक्षाबंधन की पूर्व संध्या पर अपने संदेश में कहा--

"रक्षाबंधन के पावन अवसर पर मैं सभी देशवासियों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं देती हूँ।

रक्षा बंधन भाइयों के लिए बहनों के प्यार और स्नेह की अभिव्यक्ति है और उनके बीच अटूट बंधन को दोहराने का अवसर है। रक्षा बंधन का त्योहार सहज प्रेम और पारस्परिकता का प्रतीक है और यह लोगों को करीब भी लाता है।

मेरी कामना है भाई और बहन के आपसी विश्वास का यह पर्व हमारे समाज में महिलाओं के लिए सद्भाव और सम्मान को प्रोत्साहित करे।”

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2017 - रक्षा बंधन की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति का संदेश
राष्ट्रपति भवन : 06.08.2017

भारत के राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद ने रक्षाबंधन की पूर्व संध्या पर अपने संदेश में कहा:

"रक्षा बन्धन के शुभ अवसर पर मैं समस्त देशवासियों को अपनी हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई देता हूं।

यह विशेष पर्व भाई-बहन के बीच वचनबद्धता के एक पवित्र संबंध के रूप में मनाया जाता है। प्रेम, स्नेह और परस्पर विश्वास का प्रतीक रक्षा बन्धन हमारे देश के सभी लोगों के लिए सुख और समृद्धि लाए। यह दिन भारतवासियों में भाईचारे की भावना को और सशक्त करने का अवसर बने, ऐसी मेरी मंगलकामना है।'

 

 
वामनावतार पौराणिक रक्षाबंधन कथा

एक सौ  100 यज्ञ पूर्ण कर लेने पर दानवेन्द्र राजा बलि के  मन में स्वर्ग का प्राप्ति की इच्छा  बलवती हो गई तो का सिंहासन डोलने लगा।  इन्द्र आदि देवताओं ने भगवान विष्णु से रक्षा की प्रार्थना  की। भगवान ने वामन अवतार लेकर ब्राह्मण का वेष धारण कर लिया और  राजा बलि से भिक्षा मांगने पहुँच गए।  उन्होंने बलि से तीन पग भूमि भिक्षा में माँग ली।

भविष्य पुराण की कथा

भविष्य पुराण की एक कथा के अनुसार  एक बार देवता और दैत्यों  (दानवों ) में बारह वर्षों तक युद्ध हुआ परन्तु देवता विजयी नहीं हुए। इंद्र हार के भय से दु:खी होकर  देवगुरु बृहस्पति के पास विमर्श हेतु गए। गुरु बृहस्पति के सुझाव पर इंद्र की पत्नी महारानी शची ने श्रावण शुक्ल पूर्णिमा के दिन विधि-विधान से व्रत  करके रक्षासूत्र   तैयार किए और  स्वास्तिवाचन के साथ ब्राह्मण की उपस्थिति में  इंद्राणी ने वह सूत्र  इंद्र की  दाहिनी कलाई में बांधा  जिसके फलस्वरुप इन्द्र सहित समस्त देवताओं की दानवों पर विजय हुई।   

रक्षाबंधन पर उप राष्ट्रपति की शुभकामनाएं | 2014

भारत के उपराष्‍ट्रपति श्री एम हामिद अंसारी ने रक्षाबंधन (2014) के पावन अवसर पर देश के नगारिकों को अपना बधाई संदेश और शुभकामनाएं दी हैं। अपने संदेश में उन्‍होंने कहा कि जो कि बहन और भाई के बीच प्रेम आपसी लगाव और रक्षा के पवित्र बंधन के रूप में मनाया जाने वाला यह त्‍यौहार हमें उन पारम्‍परिक मूल्‍यों, का अहसास कराता है, जो हमें बेहतर मनुष्‍य बनाते हैं।

उपराष्‍ट्रपति  ने अपने संदेश में कहा है- 

मैं देश के नागरिकों को रक्षाबंधन के पावन अवसर पर अपनी बधाई और शुभकामनाएं देता हूं। यह त्‍यौहार बहन और भाई के बीच प्रेम, आपसी लगाव और रक्षा के पवित्र बंधन के रूप में बनाया जाता है। यह हमें पारम्‍परिक मूल्‍यों, का अहसास करता है, जो हमें बेहतर मनुष्‍य बनाते हैं। मैं कामना करता हूँ कि यह त्‍यौहार समाज में शान्‍ति, प्रेम और सद्भाव लाए।

राखी | कविता

भैया कृष्ण ! भेजती हूँ मैं
राखी अपनी, यह लो आज ।
कई बार जिसको भेजा है
सजा-सजाकर नूतन साज ।।

लो आओ, भुजदण्ड उठाओ
इस राखी में बँध जाओ ।
भरत - भूमि की रजभूमि को
एक बार फिर दिखलाओ ।।

राखी की चुनौती | सुभद्रा कुमारी चौहान

बहिन आज फूली समाती न मन में ।
तड़ित आज फूली समाती न घन में ।।
घटा है न झूली समाती गगन में ।
लता आज फूली समाती न बन में ।।

रक्षा बंधन पर्व के अवसर पर राष्‍ट्रपति ने बधाई दी

भारत के राष्‍ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने रक्षा बंधन के पावन अवसर पर बधाई दी है।

 

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