अपनी सरलता के कारण हिंदी प्रवासी भाइयों की स्वत: राष्ट्रभाषा हो गई। - भवानीदयाल संन्यासी।
सुभाष चंद्र बोस | जय-हिंद
 
 

सुभाष भारतीयता की पहचान थे। आज भी भारतीय युवक उनसे प्रेरणा ग्रहण करते हैं। वे भारत की अमूल्य निधि थे और रहेंगे। 'जयहिन्द' का नारा उन्हीं की देन है। 'तुम मुझे ख़ून दो मैं तुम्हें आज़ादी दूँगा।'  सुभाष चंद्र बोस का यह घोषवाक्य आज भी हमें रोमांचित करता है। यह वाक्य सिद्ध करता है कि जिस व्यक्तित्व ने इसे देश हित में सबके सामने रखा वह किस जीवट का व्यक्ति होगा!

 
 
 
 
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