परमात्मा से प्रार्थना है कि हिंदी का मार्ग निष्कंटक करें। - हरगोविंद सिंह।
गांधी जी के बारे में कुछ तथ्य
 
 

यहाँ दिया जा रहा है कि गाँधी  को 'महात्मा' व 'राष्ट्रपिता' कहा जाना कैसे चलन में आया:

  • 12 जनवरी 1918 को गांधी द्वारा लिखे एक पत्र में रबीन्द्रनाथ टैगोर को ‘‘गुरुदेव'' संबोधित किया गया था।
  • टैगोर ने 12 अप्रैल 1919 को लिखे अपने एक पत्र में पहली बार गांधी को ‘महात्मा' संबोधित किया था लेकिन गांधीजी को  इससे पहले 1915 में औपचारिक रूप से महात्मा की पदवी दी जा चुकी थी।  
  • पहली बार नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने रेडियो सिंगापुर से 6 जुलाई, 1944 को प्रसारित अपने भाषण में राष्ट्रपिता कहकर संबोधित किया था। वैसे ऐसा भी कहा जाता है कि नेताजी ने इससे पहले भी आजाद हिंद रेडियो रंगून से प्रसारित अपने एक संदेश में 4 जून 1944 को गांधीजी को "देश के पिता" कहकर संबोधित किया था। 
  • गांधीजी की मृत्यु पर पंडित नेहरु ने रेडियो द्वारा राष्ट्र को संबोधित किया और कहा "राष्ट्रपिता अब नहीं रहे"।

संकलन: रोहित कुमार 'हैप्पी'

 
 
 
 
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