प्रत्येक नगर प्रत्येक मोहल्ले में और प्रत्येक गाँव में एक पुस्तकालय होने की आवश्यकता है। - (राजा) कीर्त्यानंद सिंह।
 
अप्रैल फूल | 1 अप्रैल
   
 

मूर्ख दिवस यानी अप्रैल फूल्स डे कैसे आरंभ हुआ?  इस विषय पर कोई एक मान्य  राय नहीं है। इस बारे में अनेक मान्यताएं हैं।  सर्वाधिक प्रचलित मान्यता ब्रिटेन के लेखक चॉसर की पुस्तक द कैंटरबरी टेल्स की एक कहानी पर आधारित है।

चॉसर ने अपनी इस पुस्तक में कैंटरबरी का उल्लेख किया है जहाँ 13वीं सदी में इंग्लैंड के राजा रिचर्ड सेकेंड और बोहेमिया की रानी एनी की सगाई 32 मार्च 1381 को आयोजित किए जाने की घोषणा की जाती है। कैंटरबरी के जन-साधारण इसे सही मान लेते हैं यद्यपि 32 मार्च तो होता ही नहीं है। इसप्रकार इस तिथि को सही मानकर वहां के लोग मूर्ख बन जाते हैं, तभी से एक अप्रैल को मूर्ख दिवस अर्थात अप्रैल फूल डे मनाया जाने लगा। वैसे तो अप्रैल फूल डे पश्चिमी सभ्यता की देन है लेकिन यह विश्व के अधिकांश देशों सहित भारत में भी धूमधाम से मनाया जाता है।

अन्य मान्यताएं:

यह भी कहा जाता है कि 1564  से पहले यूरोप के अधिकांश देशों मे एक जैसा कैलंडर प्रचलित था जिसमें नया वर्ष पहली अप्रैल से आरंभ होता था। उन दिनों पहली अप्रैल के दिन को नववर्ष के रूप में मान्यता प्राप्त थी। इस दिन लोग एक- दूसरे को नववर्ष की शुभ-कामनाओं के अतिरिक्त उपहार भी देते थे। ,

1564 में वहां के राजा चार्ल्स नवम् (CHARLES IX) ने एक बेहतर कैलंडर  को अपनाने का आदेश दिया।  इस नए कैलंडर में पहली जनवरी को वर्ष का प्रथम दिन माना गया था। लोगो ने इस नए कैलंडर को अपना लिया, लेकिन कुछ लोगों ने इस नए कैलंडर को अपनाने से इनकार कर दिया व वे पहली जनवरी को वर्ष का नया दिन न मानकर पहली अप्रैल को ही वर्ष का पहला दिन मानते थे। इन लोगों को मूर्ख समझकर नया कैलंडर अपनाने वालो ने पहली अप्रैल के दिन विचित्र प्रकार के उपहास करने आरंभ कर दिए। तभी से पहली अप्रैल को 'फूल्स डे' के रूप मे मनाने का प्रचलन हो गया।

पहली अप्रैल को 'फूल्स डे' मनाना तो आज तक प्रचलित है किंतु इसकी पृष्ठभूमि को हम भूल गए।

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भारतीय कलैंडर

यह भी कहा जाता है कि पहले विश्वभर में निर्विवाद रूप से सनातन कैलंडर को मान्यता थी जिसमें नया वर्ष अप्रैल से आरंभ होता था। 1582 में पोप ग्रेगोरी ने नया कलेण्डर (जिसमें पहली जनवरी को नया वर्ष आरंभ होता है) अपनाने को कहा और अधिकांश ने उनकी आज्ञा का पालन किया। इस कैलंडर की अवज्ञा करने वाले लोगों का 'अप्रैल फूल' की संज्ञा दी गई। इस प्रकार 1 अप्रैल नया वर्ष होेने की जगह 'मूर्ख दिवस'  के रूप में प्रचलित हुआ। धीरे-धीरे भारतीय सनातन कैलंडर के स्थान पर भारत में भी पाश्चात्य कलैंडर को मान्यता मिल गई।

..परंतु भारत सहित विश्वभर में वित्तीय वर्ष अब भी अप्रैल में ही माना जाता है।

 
 
Posted By vikas kumar   on  Wednesday, 10-04-2019
maaf karna tumhay sataya ye humse hui bhul, kya karu majboori thi meri kayi logo nay banaya tha mujhe bhi april fool...
 
 

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