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14 नवंबर को भारत के प्रथम प्रधनमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म-दिवस होता है और इसे 'बाल-दिवस' के रूप में मनाया जाता है। आइए, बाल-दिवस से संबंधित कुछ बाल-साहित्य का आनंद लें! बाल कविताएं पढ़ने के लिए बाल-काव्य पृष्ठ देखें। बाल कथाएं व बाल कहानियाँ पढ़ने के लिए बाल-कहानी पृष्ठ देखें। |
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उसे कुछ मिला, नहीं ! |
कूड़े के ढेर से
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चाचा नेहरू | बाल कविता |
वह मोती का लाल जवाहर, अपने युग का वह नरनाहर । भोली भाली मुस्कानों पर, करता था सर्वस्व निछावर ।
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चाचा नेहरू, तुम्हें प्रणाम | बाल-दिवस कविता |
तुमने किया स्वदेश स्वतंत्र, फूंका देश-प्रेम का मन्त्र, आजादी के दीवानों में पाया पावन यश अभिराम ! चाचा नेहरू, तुम्हें प्रणाम !
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नेहरू चाचा | बाल-दिवस कविता |
सब नेताओ से न्यारे तुम, बच्चो को सबसे प्यारे तुम, कितने ही तूफान आ गए, लेकिन कभी नहीं हारे तुम । आजादी की लड़ी लड़ाई, बिना तमक, बिना तमाचा, नेहरू चाचा ।
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नेहरू-स्मृति-गीत | बाल-दिवस कविता |
जन्म-दिवस पर नेहरू चाचा, याद तुम्हारी आई। भारत माँ के रखवारे थे, हम सब बच्चों के प्यारे थे, दया-प्रेम मन मे धारे थे। बचपन प्रमुदित हुआ नेह से, जाग उठी तरुणाई। जन्म दिवस पर नेहरू चाचा याद तुम्हारी आई।
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प्यारे बच्चो | बाल कविता |
सुबह सवेरे उठकर बच्चो! मात-पिता को शीश नवाओ । दातुन कुल्ला करके प्रतिदिन, मुँह की बदबू दूर भगाओ ।
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बाल-दिवस है आज साथियो | बाल-दिवस कविता |
बाल-दिवस है आज साथियो, आओ खेलें खेल । जगह-जगह पर मची हुई खुशियों की रेलमपेल ।
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बाल-दिवस | कविता |
भोले भाले बालक सारे। हैं चाचा नेहरू के प्यारे ।। सूरज चन्दा बन कर चमकें- दूर करें हम अंधियारो को। नील गगन के आँचल से हम- लाएँ चाँद सितारों को ।। देश की नैया के बनें खिवैया- हम भारत के कृष्ण कन्हैया ।। अमन-चैन की सरिता बहाएँ- भारत के हर घर हर द्वारे । भोले भाले बालक सारे। हैं चाचा नेहरूके प्यारे ।। देशद्रोह गद्दारों को हम - वसुन्धरा से मिटाएँगे । राष्ट्र-प्रेम के मधुर गीत हम- मिल जुल कर सब गाएँगे । वीर भरत बन जाएँगे हम- शेरों को गोद खिलाएँगे । मातृ-भूमि पर नित बलि जाएँ- शुभ पावन हों कर्म हमारे । भोले भाले बालक सारे। हैं चाचा नेहरू के प्यारे ।।
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वंदना | बाल कविता |
मैं अबोध सा बालक तेरा, ईश्वर! तू है पालक मेरा ।
हाथ जोड़ मैं करूँ वंदना, मुझको तेरी कृपा कामना ।
मैं हितचिंतन करूँ सभी का, बुरा न चाहूँ कभी किसी का ।
कभी न संकट से भय मानूँ, सरल कठिनताओं को जानूँ ।
प्रतिपल अच्छे काम करूँ मैं, देश का ऊँचा नाम करूँ मैं ।
दुखी जनों के दुःख हरूँ मैं, यथा शक्ति सब को सुख दूँ मैं ।
गुरु जन का सम्मान करूँ मैं, नम्र, विनीत, सुशील बनूँ मैं । मंगलमय हर कर्म हो मेरा, मानवता ही धर्म हो मेरा ।
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