सुप्रसिद्ध साहित्यकार बलराम अग्रवाल का जन्म 26 नवंबर 1952 को बुलंदशहर (उत्तर प्रदेश) में हुआ। आप विभिन्न विधाओं में सृजन करते हैं जिनमें लघुकथा, कहानी, कविता, बाल एकांकी व आलोचना सम्मिलित हैं।
आज पढ़िए 'बलराम अग्रवाल' की लघु-कथा: जहर की जड़ें [लघु-कथा] दफ्तर से लौटकर मैं अभी खाना खाने के लिए बैठा ही था कि डॉली ने रोना शुरू कर दिया। ‘‘अरे-अरे-अरे, किसने मारा हमारी बेटी को?'' उसे प्यार करते हुए मैंने पूछा। ‘‘डैडी.....हमें स्कूटर चाहिए।'' सुबकते हुए वह बोली। ‘‘लेकिन तुम्हारे पास तो पहले ही बहुत खिलौने हैं!'' इस पर उसकी हिचकियाँ बंध गई, बोली, ‘‘मेरी गुडि़या को बचा लो डैडी।'' ‘‘बात क्या है?'' मैंने दुलारपूर्वक पूछा। ‘‘पिंकी ने पहले तो अपने गुड्डे के साथ हमारी गुडि़या की शादी करके हमसे गुडि़या छीन ली।'' डॉली ने जारों से सुबकते हुए बताया, ‘‘अब कहती है-दहेज में स्कूटर दो, वरना आग लगा दूंगी गुडि़या को।.....गुडि़या को बचा लो डैडी....हमें स्कूटर दिला दो...।'' डॉली की सुबकियाँ धीरे-धीरे तेज होती गईं और शब्द उसकी हिचकियों में डूबते चले गए। [साभार - लघुकथा.कॉम] बलराम अग्रवाल का आलेख - प्रेमचंद की लघु-कथाएं |