यह संदेह निर्मूल है कि हिंदीवाले उर्दू का नाश चाहते हैं। - राजेन्द्र प्रसाद।
 
खुदीराम बोस स्मृति दिवस | 11 अगस्त
   
 

1908 का अप्रैल महीना।

खुदीराम के दोस्तों ने देखा कि अचानक खुदीराम ने नए जूतों की एक जोड़ी खरीदी है। वे चकित हुए क्योंकि खुदीराम लंबे समय से जूते नहीं पहनता था।

उन्होंने उत्सुकता जताई - तुमने नए जूते खरीदे हैं?

- हाँ, मैं शादी करने जा रहा हूँ।

- कहाँ?

- उत्तर की ओर।

- वापस कब लौटोगे?

- कभी नहीं! मैं अपनी ससुराल में स्थायी रूप से रहूंगा।

दोस्तों ने मजाक समझा। उन्हें क्या पता कि खुदीराम अब एक समान्य नवयुवक न होकर क्रांतिकारी बन चुका है!

सचमुच खुदीराम फिर कभी नहीं लौटे। उन दिनों देश पर मर-मिटने या 'फाँसी की सजा' को क्रांतिकारी 'शादी करवाना' कहते थे।

प्रस्तुति - रोहित कुमार

* खुदीराम भारत के सबसे युवा शहीदों में से एक थे, जिन्हें 11 अगस्त 1908 को फांसी दे दी गई थी।

 
 
Posted By aman preetam   on  Tuesday, 11-10-2016
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Posted By pankaj   on  Thursday, 06-10-2016
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