रांगेय राघव का जन्म 17 जनवरी को आगरा में हुआ था। आपका मूल नाम टी.एन.वी. आचार्य (तिरुमल्लै नम्बाकम् वीर राघव आचार्य) था। आपके पूर्वज दक्षिणात्य थे लेकिन वे वैर (भरतपुर) में आ बसे थे और उनके पास वैर व बारोनी गाँवों की जागीरदारी थी। रांगेय राघव की शिक्षा आगरा में हुई। आपने 1944 में सेंट जॉन्स कॉलेज से स्नातकोत्तर और 1948 में आगरा विश्वविद्यालय से गुरु गोरखनाथ पर पी-एच.डी. की। आपका हिन्दी, अंग्रेजी, ब्रज और संस्कृत भाषाओं पर समानाधिकार था। आपने 13 वर्ष की अल्प आयु से लेखनारंभ किया। 1942 में अकालग्रस्त बंगाल की यात्रा के पश्चात लिखे रिपोतार्ज ‘तूफानों के बीच' से आप चर्चित हो गए। साहित्य के अतिरिक्त आपकी चित्रकला, संगीत और पुरातत्त्व में विशेष रुचि थी। आपकी कहानी ‘गदल' इतनी लोकप्रिय हुई कि इसका अनुवाद अनेक विदेशी भाषाओं में भी हुआ। आपने संस्कृत रचनाओं व विदेशी साहित्य का हिन्दी में अनुवाद किया। स्वतंत्र लेखन करते हुए आपका अधिकांश जीवन आगरा, वैर और जयपुर में व्यतीत हुआ। पुरस्कार : हिन्दुस्तान अकादमी पुरस्कार (1951), डालमिया पुरस्कार (1954), उत्तर प्रदेश सरकार पुरस्कार (1957 व 1959), राजस्थान साहित्य अकादमी पुरस्कार (1961) तथा मरणोपरांत (1966) महात्मा गांधी पुरस्कार से सम्मानित। लेखन विधाएँ: उपन्यास, कहानी संग्रह, यात्रा वृत्तान्त, विदेशी साहित्य का भारतीय भाषाओं में अनुवाद, नाटक, कविता, रिपोतार्ज, आलोचना और सभ्यता और संस्कृति पर शोध व व्याख्या। कृतियाँ : उपन्यास : घरोंदे, विषाद मठ, उबाल, राह न रुकी, बारी बरणा खोल दो, देवकी का बेटा, रत्ना की बात, भारती का सपूत, यशोधरा जीत गयी, लोई का ताना, लखिमा की आँखें, मेरी भव बाधा हरो, कब तक पुकारूँ, चीवर, राई और पर्वत, आख़िरी आवाज़, बन्दूक और बीन। कहानी संग्रह : अंगारे न बुझे, साम्राज्य का वैभव, देव-दासी, चीवर इत्यादि। यात्रा वृत्तान्त : महायात्रा गाथा (अँधेरा रास्ता के दो खंड), महायात्रा गाथा, (रैन और चंदा के दो खंड)। भारतीय भाषाओं में अनूदित कृतियाँ: जैसा तुम चाहो, हैमलेट, वेनिस का सौदागर, ऑथेलो, निष्फल प्रेम, परिवर्तन, तिल का ताड़, तूफान, मैकबेथ, जूलियस सीजर, बारहवीं रात। निधन : लंबी बीमारी के पश्चात 12 सितंबर, 1962 को मुंबई में आपका देहांत हो गया। |