जब से हमने अपनी भाषा का समादर करना छोड़ा तभी से हमारा अपमान और अवनति होने लगी। - (राजा) राधिकारमण प्रसाद सिंह।
 
दीनबन्धु एन्ड्रयूज जयंती | 12 फरवरी
   
 

रेवरेंड चार्ल्स फ्रीयर एन्ड्रयूज (सी. एफ. एन्ड्रयूज) का जन्म ब्रिटेन में 12 फरवरी 1871 को हुआ था।

'भारत-मित्रों' विशेषकर 'प्रवासी भारतीय-मित्रों' का उल्लेख हो तो दीनबन्धु सी. एफ. एन्ड्रयूज का नाम पहली पंक्ति में आता है।

रेवरेंड चार्ल्स फ्रीयर एन्ड्रयूज गांधीजी के अभिन्न मित्र थे।  शायद वे एकमात्र ऐसे व्यक्ति थे जो गांधीजी को 'मोहन' कहकर संबोधित करते थे। आपने अपना सम्पूर्ण जीवन मानव-सेवा को अर्पित किया। आपने ब्रिटिश नागरिक होते हुए भी जलियांवाला बाग कांड के लिए ब्रिटिश सरकार को दोषी ठहराया और जरनल ओ'डायर के कुकृत्य को "जानबूझ कर किया गया जघन्य हत्याकांड" बताया।

आप भारतीय स्वाधीनता संग्राम के बारे में समय-समय पर 'मैंचेस्टर गार्जियन', 'द हिन्दू', 'माडर्न रिव्यू', 'द नैटाल आबजर्वर', और 'द टोरोन्टो स्टार' में आलेख लिखते रहे।

प्रवासी भारतीय आपका विशेष सम्मान करते थे। एन्ड्रूज 1915, 1917 में फीज़ी की परिस्थितियों का विश्लेषण करने फीज़ी गए थे। 1936 में जब वे अॉस्ट्रेलिया व न्यूज़ीलैंड की यात्रा पर थे तो उन्हें फीजी आमंत्रित किया गया व वे पुन: फीज़ी गए। एन्ड्रयूज ने शोषित भारतीय श्रमिकों की मुक्ति के लिए संघर्ष किया और अंतत: उन्हें सफलता मिली। फिजी में ही उन्हें सबसे पहले दीनबंधु के संबोधन से अलंकृत किया गया था। वहां से भारत लौटकर दीनबंधु एन्ड्रयूज ने अपना संपूर्ण जीवन श्रमिकों के कल्याण के लिए समर्पित कर दिया। फीज़ी के बंधुआ मज़दूरों को मुक्ति दिलाने व उनका जीवन बेहतर बनाने के प्रयास के लिए 'एन्ड्रयूज' की भूमिका सदैव याद की जाएगी।

फरवरी 1916 को सी. एफ. एन्ड्रयूज व पियरसन की 'फीज़ी गिरमिटिया श्रम रिपोर्ट' (Indentured Labour In Fiji) जारी की गई थी। अत: यह मास (फरवरी 2016) उस रिपोर्ट का शताब्दी वर्ष भी है। इस रिपोर्ट के पश्चात ही गिरमिटियों की ओर अनेक संस्थाओं और सरकार का ध्यान आकृष्ट हुआ व गिरमिटिया श्रमिकों को मुक्ति मिल पाई थी। इस संदर्भ में  एन्ड्रयूज के व्यक्तिगत प्रयास सराहनीय रहे।

भारत में आपके नाम पर कई विद्यालय व महाविद्यालय हैं। एन्ड्रूज रबीन्द्रनाथ टैगोर व गांधी जी के सानिध्य में रहे। शांतिनिकेतन में 'हिंदी भवन' की स्थापना आपकी देन थी। आपने 16 जनवरी 1938 को शांतिनिकेतन में 'हिंदी भवन' की नीव रखी। 31 जनवरी 1939 को 'हिंदी भवन' का उद्घाटन पं० जवाहरलाल नेहरू ने किया था।

5 अप्रैल 1940 को कलकत्ता में एन्ड्रयूज का निधन हो गया।  आपको कोलकत्ता के ईसाई कब्रिस्तान में दफ़नाया गया।

- रोहित कुमार 'हैप्पी'

 
 
 
 

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