कार्तिक कृष्णा अष्टमी को अहोई का व्रत किया जाता है। यह व्रत वे ही स्त्रियाँ करती हैं जिनके सन्तान होती है। स्त्रियाँ दिनभर व्रत रखती हैं। सांयकाल को दीवार पर आठ कोष्ठक की पुतली लिखी जाती है। उसी के पास सेई और सेई के बच्चों के चित्र भी बनाए जाते हैं। धरती पर चौक पूर कर कलश स्थापित किया जाता है। कलश के पूजन के बाद दीवार पर लिखी अष्टमी का पूजन किया जाता है। दूध-भात का भोग लगाकर कथा कही जाती है। अहोई की कथाएं व आरती यहाँ पढ़ें। [भारत-दर्शन] |