डॉ॰ रामनिवास मानव जन्म-दिवस |
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डॉ॰ रामनिवास मानव समकालीन हिंदी साहित्य के सशक्त हस्ताक्षर हैं। डॉ॰ रामनिवास मानव का जन्म 2 जुलाई ( शैक्षिण प्रमाण पत्र के अनुसार यह 8 अक्टूबर भी दिया गया है) 1954 को तिगरा, जिला महेन्द्रगढ़ (हरियाणा) के प्रतिष्ठित स्वतन्त्रता-सेनानी पंडित मातादीन के घर। मानवजी को जन्म-दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं। |
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चिड़िया रानी |
सदा फुदकती, कभी न थकती, गाती मीठी-मीठी बानी। कैसे खुश रहती हो इतना, सच-सच कहना चिड़िया रानी।
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डा रामनिवास मानव के दोहे |
डॉ. 'मानव' दोहा, बालकाव्य तथा लघुकथा विधाओं के सुपरिचित राष्ट्रीय हस्ताक्षर हैं तथा विभिन्न विधाओं में लेखन करते हैं। उनके कुछ दोहे यहां दिए जा रहे हैं:
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डा रामनिवास मानव के हाइकु |
डॉ. 'मानव' हाइकु, दोहा, बालकाव्य तथा लघुकथा विधाओं के सुपरिचित राष्ट्रीय हस्ताक्षर हैं तथा विभिन्न विधाओं में लेखन करते हैं। उनके कुछ हाइकु यहाँ दिए जा रहे हैं:
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परिचित | लघु-कथा |
बस में छूट जाने के कारण, पुलिस ने उसका सामान, अपने कब्ज़े में ले लिया था। अब, किसी परिचित आदमी की ज़मानत के बाद ही, वह सामान उसे मिल सकता था।
“मेरी पत्नी सख़्त बीमार है। मेरा जल्दी घर पहुंचना बहुत ज़रूरी है होल्दार सा’ब !” उसने विनती की।
“भई, कह तो दिया, किसी जानकार आदमी को ढूंढकर ले आओ और ले जाओ अपना सामान।”
“मैं तो परदेसी आदमी हूं। सा’ब, दो सौ मील दूर के शहर में कौन मिलेगा मुझे जानने वाला !”
“यह हम नहीं जानते। देखो, यह तो कानूनी ख़ाना-पूर्ति है। बिना ख़ाना-पूर्ति किये हम सामान तुम्हें कैसे दे सकते हैं ?”
वह समझ नहीं पा रहा था कि ख़ाना-पूर्ति कैसे हो ।
कुछ सोचकर, उसने दस रुपये का नोट निकाला और चुपके-से, कॉन्स्टेबुल की ओर बढा दिया। नोट को जेब में खिसकाकर, उसे हल्की-सी डांट पिलाते हुए, कॉन्स्टेबुल ने कहा- “तुम शरीफ़ आदमी दिखते हो, इसलिए सामान ले जाने देता हूं। पर फिर ऐसी ग़लती मत करना, समझे !”
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मिस्टर चूहेराम |
मिस्टर चूं-चूं चूहेराम, करते कभी न कोई काम। बिल के पास बिछाकर घास, दिन भर रोज खेलते तास।
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