अपनी सरलता के कारण हिंदी प्रवासी भाइयों की स्वत: राष्ट्रभाषा हो गई। - भवानीदयाल संन्यासी।
 
अमरकांत जयंती | 1 जुलाई
   
 

दोपहर का भोजन, डिप्टी कलेक्टरी, जिंदगी और जोंक, बीच की दीवार जैसी कालजयी रचनाओं के लेखक, हिन्दी कथा साहित्य में प्रेमचंद की परंपरा को आगे बढ़ाने वाले अमरकांत का जन्म 1 जुलाई, 1925 को नगरा गाँव, तहसील रसड़ा, बलिया ज़िला (उत्तर प्रदेश) के एक कायस्थ परिवार में हुआ था।

 
दोपहर का भोजन | Dophar Ka Bhojan
सिद्धेश्वरी ने खाना बनाने के बाद चूल्हे को बुझा दिया और दोनों घुटनों के बीच सिर रख कर शायद पैर की उँगलियाँ या जमीन पर चलते चीटें-चीटियों को देखने लगी।

 
 
 

सब्स्क्रिप्शन

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश