बाबा नागार्जुन जयंती | 30 जून |
|
|
|
|
|
|
बाबा के नाम से प्रसिद्ध कवि नागार्जुन का जन्म 30 जून 1911 (ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा) को अपने ननिहाल सतलखा, जिला दरभंगा, बिहार में हुआ था। आपका मूल नाम वैद्यनाथ मिश्र था। नागार्जुन तरौनी गाँव, जिला मधुबनी, बिहार के निवासी रहे। आपकी प्रारंभिक शिक्षा स्थानीय संस्कृत पाठशाला में हुई। बाद में वाराणसी और कोलकाता में अध्ययन किया। 1936 में आप श्रीलंका चले गए और वहीं बौद्ध धर्म की दीक्षा ग्रहण की। कुछ समय श्रीलंका में ही रहे फिर 1938 में भारत लौट आए। अपनी कलम से आधुनिक हिंदी काव्य को और समृद्ध करने वाले नागार्जुन का 5 नवम्बर सन् 1998 को ख्वाजा सराय, दरभंगा, बिहार में निधन हो गया। |
|
|
इनाम |
|
कालिदास! सच-सच बतलाना ! | कविता |
कालिदास! सच-सच बतलाना ! इंदुमती के मृत्यु शोक से अज रोया या तुम रोये थे ? कालिदास! सच-सच बतलाना ?
|
तेरे दरबार में क्या चलता है ? | कविता |
तेरे दरबार में क्या चलता है ? मराठी-हिन्दी गुजराती-कन्नड़ ? ताता गोदरेजवाली पारसी सेठों की बोली ? उर्दू—गोआनीज़ ? अरबी-फारसी.... यहूदियों वाली वो क्या तो कहलाती है, सो, तू वो भी भली भाँति समझ लेती तेरे दरबार में क्या नहीं समझा जाता है ! मोरी मइया, नादान मैं तो क्या जानूँ हूँ ! सेठों के लहजे में कहूँ तो—‘‘भूल-चूक लेणी-देणी.....’’ तेरे खास पुजारी गलत-सलत ही सही संस्कृत भाषा वाली विशुद्ध ‘देववाणी’ चलाते होंगे.... मगर मैया तू तो अंग्रेजी-फ्रेंच-पुर्तगीज चाइनीज और जापानी सब कुछ समझ लेती ही है नेल्सन मंडेला के यहाँ से लोग-बाग आते ही रहते हैं.... अरे वाह ! देखो मनहर, अम्बा ने सिर हिला दिया ! जै हो अम्बे ! नौ बरस की लम्बी सजा दे दी.... चलो, ये भी ठीक रहा !! देख मनहर भइया मुस्करा रही है ना ! चल मनहर मइया ने सिर हिला दिया, देख रे ! अब तो बार-बार भागा आऊँगा मनहर !
|
बाकी बच गया अंडा | कविता |
पाँच पूत भारत माता के, दुश्मन था खूंखार गोली खाकर एक मर गया, बाक़ी रह गये चार चार पूत भारत माता के, चारों चतुर-प्रवीन देश-निकाला मिला एक को, बाकी रह गये तीन तीन पूत भारत माता के, लड़ने लग गए वो अलग हो गया उधर एक, अब बाकी बच बच गए दो दो बेटे भारत माता के, छोड़ पुरानी टेक चिपक गया है एक गद्दी से, बाकी बच गया है एक एक पूत भारत माता का, कंधे पर है झंडा पुलिस पकड़ के जेल ले गई, बाक़ी बच गया अंडा
|
बापू महान | कविता |
बापू महान, बापू महान! ओ परम तपस्वी परम वीर ओ सुकृति शिरोमणि, ओ सुधीर कुर्बान हुए तुम, सुलभ हुआ सारी दुनिया को ज्ञान बापू महान, बापू महान!!
|
लोगे मोल? | कविता |
लोगे मोल? लोगे मोल? यहाँ नहीं लज्जा का योग भीख माँगने का है रोग पेट बेचते हैं हम लोग लोगे मोल? लोगे मोल?
|
|
|
|
|
|