सुख और शांति | दैनिक-कथा - भारत-दर्शन संकलन    
 
सुख और शांति | दैनिक-कथा
   Author:  भारत-दर्शन संकलन

एक बार बुद्ध किसी गांव में ठहरे थे। जब वे गांव में भ्रमण कर रहे थे तो एक आदमी ने उनके पास आया पूछा - "भंते, आप इतने वर्षों से लोगों को शांति, सत्य और मोक्ष का प्रवचन दे रहे हैं लेकिन कितने लोग हैं जिन्हें मोक्ष प्राप्त हो गया?"

बुद्ध उसकी बात सुनकर बोले -"तुम आकर मिलना, तब तुम्हारी बात का उत्तर दूंगा, लेकिन एक काम करना।"

"क्या?" उस आदमी ने पूछा|

बुद्ध ने कहा - "सारे गांव में घुमकर सबसे मिलकर यह लिखवा लाना कि कौन-कौन शांति चाहते हैं, कौन सत्य और कौन-कौन मोक्ष?"

"आपने यह अच्छा कहा, भन्ते!" वह आदमी चकित होकर बोला - "कौन ऐसा अभागा होगा जो इन चीजों को नहीं चाहेगा?"

बुद्ध ने कहा - "तुम एक बार पता लगाओ कि कौन आदमी किस चीज की कामना करता है!"

वह आदमी घंटों गांव में घूम-घूमकर यही प्रश्न लोगों से पूछता रहा लेकिन एक भी आदमी ऐसा न मिला जो शांति, सत्य और मोक्ष चाहता हो। किसी ने कहा - 'मुझे रोगों से छुटकारा चाहिए।' किसी ने संतान की चाह की, तो किसी ने कहा - 'मुझे नौकरी चाहिए।' और किसी ने लंबी उम्र की अभिलाषा की।

वह व्यक्ति हतप्रभ रह गया।

फिर बुद्ध के पास आकर बोला - "यह तो बड़ा अजीव बात है कि कोई कुछ चाहता है, कोई कुछ! किंतु शांति, सत्य और मोक्ष की आकांक्षा रखने वाला एक भी आदमी नहीं!"

बुद्ध ने कहा - "इसमें आश्चर्य क्या है? हममें से अधिकतर सुख चाहते हैं- शांति नहीं! ..और सुख पाने के लिए वे शांति के विपरीत मार्ग पर चल देते हैं। सुख का मार्ग शांति का मार्ग नहीं है!"

#

[ भारत-दर्शन संकलन ]

 
 
Posted By Sanyami   on  Tuesday, 23-Dec-2014
अच्छी कहानी थी और अच्छी सिख भी मिली धन्यवाद
Posted By Sanyami   on  Tuesday, 23-Dec-2014
अच्छी कहानी थी और अच्छी सिख भी मिली धन्यवाद
Posted By Raavi Ramesh   on  Thursday, 01-Jan-1970
सुख शारीरिक और मानसिक है जो प्रकृति से बंधन बनाये रखती है || शांति आत्मिक है जो निष्काम आराधना और दैविक है | मोक्ष कारण है जो सदा शांति के मार्ग में रहने पर और इष्ट देव या गुरु की कृपा से प्राप्त होती है |
Posted By Raavi Ramesh   on  Thursday, 01-Jan-1970
सुख शारीरिक और मानसिक है जो प्रकृति से बंधन बनाये रखती है || शांति आत्मिक है जो निष्काम आराधना और दैविक है | मोक्ष कारण है जो सदा शांति के मार्ग में रहने पर और इष्ट देव या गुरु की कृपा से प्राप्त होती है |

Comment using facebook

 
 
Post Comment
 
Name:
Email:
Content:
 
 
  Type a word in English and press SPACE to transliterate.
Press CTRL+G to switch between English and the Hindi language.

सब्स्क्रिप्शन

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश