जब से हमने अपनी भाषा का समादर करना छोड़ा तभी से हमारा अपमान और अवनति होने लगी। - (राजा) राधिकारमण प्रसाद सिंह।

दर्शनी प्रसाद | फीजी

दर्शनी प्रसाद फीजी की नागरिक हैं। फीजी नेशनल यूनिवर्सिटी में प्राध्यापिका हैं। लगभग तेरह वर्ष से हिंदी अध्यापन से जुड़ी हुई हैं।

कविता पठन-पाठन में रुचि है। आपका मानना है कि कविता के माध्यम से अपने पूर्वजों के संघर्षमय जीवन को भली प्रकार समझा जा सकता है। आप कहती हैं, "मेरा कविता लिखने का अनुभव नया है लेकिन लिखते समय मुझे आनंद की प्राप्ति हुई। कविता लिखते समय लोक-व्यवहार की शिक्षा भी मिली। मैं उम्मीद करती हूँ कि मेरी रचनाएँ पाठकों को पसंद आएंगी।

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