यदि पक्षपात की दृष्टि से न देखा जाये तो उर्दू भी हिंदी का ही एक रूप है। - शिवनंदन सहाय।

Author's Collection

[First] [Prev] 1 | 2

Total Number Of Record :11

माँ की याद बहुत आती है !

माँ की याद बहुत आती है !

जिसने मेरे सुख - दुख को ही ,
अपना सुख-दुख मान लिया था ।
मेरी खातिर जिस देवी ने,
बार - बार विषपान किया था ।
स्नेहमयी ममता की मूरत,
अक्सर मुझे रुला जाती है ।
माँ की याद बहुत आती है !

दिन तो प्यार भरे गुस्से में,
...

More...
[First] [Prev] 1 | 2

Total Number Of Record :11

सब्स्क्रिप्शन

सर्वेक्षण

भारत-दर्शन का नया रूप-रंग आपको कैसा लगा?

अच्छा लगा
अच्छा नही लगा
पता नहीं
आप किस देश से हैं?

यहाँ क्लिक करके परिणाम देखें

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश