जब से हमने अपनी भाषा का समादर करना छोड़ा तभी से हमारा अपमान और अवनति होने लगी। - (राजा) राधिकारमण प्रसाद सिंह।
 
भवानी प्रसाद मिश्र | Bhawani Prasad Mishra

गीतफ़रोश के नाम से प्रसिद्ध भवानी प्रसाद मिश्र का जन्म 29 मार्च 1913 को गांव टिगरिया, होशंगाबाद (मध्य प्रदेश) में हुआ था।

शिक्षा

भवानी प्रसाद मिश्र की प्रारंभिक शिक्षा सोहागपुर, होशंगाबाद, नरसिंहपुर और जबलपुर में हुई। आपने हिन्दी, अंग्रेज़ी और संस्कृत विषय लेकर बी. ए. पास किया। भवानी प्रसाद मिश्र ने महात्मा गांधी के विचारों से प्रेरित होकर शिक्षा देने के विचार से एक विद्यालय आरंभ किया और उसी समय 1942 में आपको गिरफ्तार कर लिया गया व 1949 तक आप जेल में रहे।  1949 में आप एक शिक्षक के रूप में महिलाश्रम वर्धा गए और लगभग पाँच वर्ष वर्धा में बिताए।

साहित्यिक जीवन

भवानी प्रसाद मिश्र की कविता-यात्रा मुख्यत: 1944 से आरंभ होती है। यों 1940 में 'दूसरे सप्तक' के साथ वे हिंदी के जाने-माने कवियों कौ पंक्ति में स्थापित हो चुके थे।

1932-33 में आप माखनलाल चतुर्वेदी के संपर्क में आए। श्री चतुर्वेदी आग्रहपूर्वक कर्मवीर में भवानी प्रसाद मिश्र की कविताएँ प्रकाशित करते रहे। हंस में अनेक कविताएँ प्रकाशित हुईं। तत्पश्चात् अज्ञेय जी ने दूसरे सप्तक में आपको प्रकाशित किया। दूसरे सप्तक के प्रकाशन के पश्चात् प्रकाशन नियमित होता गया।

आपने चित्रपट (सिनेमा) के लिए संवाद लिखे और संवाद निर्देशन भी किया। मद्रास से मुम्बई आकाशवाणी के निर्माता बन गए और आकाशवाणी केन्द्र, दिल्ली में भी काम किया।

गांधीवादी विचारधारा के इस कवि की आपातकाल में लिखी गई कविताएं 'त्रिकाल संध्या' के नाम से प्रकाशित हुई।

विधाएँ : कविता, निबंध, संस्मरण, बाल साहित्य

कविता संग्रह : गीतफरोश, चकित है दुख, गांधी पंचशती, बुनी हुई रस्सी, खुशबू के शिलालेख, त्रिकाल संध्या, व्यक्तिगत, परिवर्तन जिए, अनाम तुम आते हो, इदम नमम, शरीर कविता फसलें और फूल, मान-सरोवर दिन, संप्रति, अँधेरी कविताएँ, कालजयी, नीली रेखा तक, दूसरा सप्तक (छह अन्य कवियों के साथ कविताएँ संकलित)

बाल साहित्य
: तुकों के खेल


संस्मरण
: जिन्होंने मुझे रचा

निबंध : कुछ नीति कुछ राजनीति

संपादन :
 संपूर्ण गांधी वांङ्मय, कल्पना (साहित्यिक पत्रिका), विचार (साप्ताहिक), आज के लोकप्रिय कवि श्रृंखला में : बालकृष्ण शर्मा 'नवीन' की कविताएँ, महात्मा गांधी की जय (श्री मन्नारायण अग्रवाल के साथ), मृत्युंजयी गांधी (प्रभाकर के साथ), समर्पण और साधना (जानकी देवी बजाज स्मृति ग्रंथ), गगनांचल 


निधन: 20 फरवरी 1985 को आपका निधन हो गया।

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प्राण रहते

प्राण रहते
चाहता हूँ ओंठ पर नित गान रहते
भाग्य का यह चक्र फिरता या न फिरता
नभ बरसता फूल अथवा गाज गिरता
जय-पराजय में अगर हम शीस उन्नत नष्ट शंका
वज्र पुष्प समान सहते !
प्राण रहते !!

कठिन क्षण में सहज गति होती हमारी
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अक्कड़ मक्कड़

अक्कड़ मक्कड़, धूल में धक्कड़
दोनों मूरख, दोनों अक्खड़
हाट से लौटे, ठाठ से लौटे
एक साथ एक बाट से लौटे।

बात-बात में बात ठन गई
बाँह उठी और मूँछें तन गईं
इसने उसकी गर्दन भींची
उसने इसकी दाढ़ी खींची।

अब वह जीता, अब यह जीता;
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भवानी प्रसाद मिश्र की कविताएं

यहाँ भवानी प्रसाद मिश्र के समृद्ध कृतित्व में से कुछ ऐसी कविताएं चयनित की गई हैं जो समकालीन समाज ओर विचारधारा का समग्र चित्र प्रस्तुत करने में सक्षम होंगी।

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