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Total Number Of Record :4मेरी अभिलाषा | कविता
चाहती हूँ आज देना, प्यार का उपहार जग को।।
मुग्ध सपनों के जगत से माँग मैं अरमान लायी,
भावनाओ के भवन से साथ मधु के गान लायी।
कंठ से कल कोकिला के मैं मधुर संगीत लेकर
विश्व में मधुमास की मधुमय चपल मुस्कान लेकर।
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दूर गगन पर | गीत
दूर गगन पर सँध्या की लाली
सतरंगी सपनों की चुनरी लहरायी
आँचल में भरकर तुझे ओ चंदा
चाँदनी बनकर मैं मुस्करायी
दूर गगन पर----
सँध्या के घूँघट में चंदा ये पुरनम,
सागर के आँचल में लहरों की धडकन
साँसों में छायी वीणा की सरगम
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सुहाना सहाना लगे | गीत
सुहाना सहाना लगे
यह मौसम, यह रिमझिम
यह सरगम, यह गुंजन
यादों के बीच चले जब बचपन
सुहाना सूहाना लगे यह मौसम यह रिमझिम
मदहोश लहरों से सतरंगी सपने
आँखों में ठहरे साँझ सवेरे
धरती को चूमें अमुवा की डालें
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तीन पत्र | कहानी
निनी ने फोन को टेबल पर रक्खा। कांपते हाथों से आँसू पोंछते हुए खिड़की से बाहर देखा । काले बादलों के बीच सूरज कहीं छुप गया था । दूर समुद्री लहरें उफान पर थी, जैसे रेत पर पहले पहुँचने की लालसा में लहरें एक दूसरे के साथ होड़ में लिप्त हों।
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