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Total Number Of Record :2इक अनजाने देश में
इक अनजाने देश में जब भी, मैं चुप हो रह जाता हूँ,
अपना मन उल्लास से भरने, देश तुझे ही गाता हूँ|
शुभ्र हिमालय सर हो मेरा,
सीना बन जाता विंध्याचल|
नीलगिरी घुटने बन जाते,
पैर तले तब नीला सागर|
दाएँ में कच्छ को भर लेता, बाएँ मिजो भर जाता हूँ,
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आ जा सुर में सुर मिला
आ जा सुर में सुर मिला ले, यह मेरा ही गीत है,
एक मन एक प्राण बन जा, तू मेरा मनमीत है।
सुर में सुर मिल जाए इतना, सुर अकेला न रहे,
मैं भी मेरा न रहूँ और, तू भी तेरा न रहे,
धड़कनों के साथ सजता, राग का संगीत है,
एक मन एक प्राण बन जा, तू मेरा मनमीत है।
नीले-नीले इस गगन में, पंख धर कर उड़ चलें,
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