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Total Number Of Record :1चलो चलें उस पार
चलों चलें उस पार
झर झर करते झरने हों जहाँ
बहती हो नदिया की धारा
जीवन के चंद पल हों अपने
कर लें हम प्रकृति से प्यार
क्या रखा परदों के पीछे
चार दीवारी के चेहरे हैं
न प्रभात की लाली दिखती
न सिंदूरी साँझ के तार
सीमित और सँगीन महल ये
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