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Total Number Of Record :3फंदा
[फीजी से फीजी हिंदी में लघुकथा]
दुकान में सबरे से औरतन के लाइन लगा रहा। कोई बरौनी बनवाए, कोई फेसिअल कराए, कोई बार कटवाए, कोई कला कराए, तो कोई नेल-पेंट लगवाए के लिए अगोरत रहिन। दुकान के पल्ला भी खुले नई पाइस रहा कि द्वारी पे तीन औरत खड़ी अगोरत रहिन। वैसे सुक और सनिच्चर बीज़ी रोज रहे लेकिन ई रकम बिज़ी तो हम लोग कभी नहीं रहा। पतानी आज इनके सजे-सपरे के कौन भूत सवार होइगे।
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फीजी कितना प्यारा है
प्रशांत महासागर से घिरा
चमचमाती सफ़ेद रेतों से भरा
फीजी द्वीप हमारा
देखो, कितना प्यारा है!
सर्वत्र छाई हरयाली ही हरयाली
फल-फूलों से भरी डाली-डाली
फसलों से लहराते गन्ने के खेतों में
गुणगुनाती मैना प्यारी है
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आरजू
इंतजार की आरजू अब नहीं रही
खामोशियों की आदत हो गई है,
न कोई शिकवा है न शिकायत
अजनबियों सी हालत हो गई है।
चुभती रहती चाँदनी
बड़ी कठिन ये रात हो गई है,
एक तेज हूक उठती है मन में मेरे
खुशी भी इतेफाक हो गई है।
अब है तो सिर्फ तन्हाई
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